मोगा जिला मे 3 फायर स्टेशन मे कर्मचारियों कमी 12 गाड़िओ मे सिर्फ 17 फायर कर्मचारी
मोगा जिला का मात्र एक ही फायर स्टेशन मोगा के नगर निगम में है जिनके पास 6 के करीब गाडिया है और तीन शिफ्टो में एक गाडी पर 6 कर्मी होने चाहिए लेकिन यहाँ कुल 17 से 18 कर्मी है जिनमे जादातर कच्चे मुलाजिम है ! और तीन ही ड्राईवर है ! मोगा फायर स्टेशन के पास गाडिया और साजो सामान तो पूरा है फायर एंट्री सूट भी हे लेकिन फायर मेन नहीं और ना ही पुरे ना ही ड्राईवर जिसको लेकर जितने फायर कर्मी है उनको भी बड़ी समस्या आ रही है ! 8 घंटे की ड्यूटी है लेकिन 12 – 12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है ! मोगा जिला में चार विधानसभा हलके है लेकिन अगर इन चारो हलको में कहीं भी आग लगती है तो मोगा से ही फायर ब्रिगेड जाती हे !और पीछे अगर किसी और हलके में आग लग जाए तो बड़ी समस्या है ! लेकिन सरकार द्वारा इस समस्या को देखते हुए बाघापुराना और धर्मकोट को तीन तीन गाडिया तो दी लेकिन उनको चलाने वाला कोई नही ना ही उस पर कोई फायर मैन ! जानकारी यह भी है की एक गाडी 50 लाख रूपए की मिलती है और अगर छोटी बड़ी तीन गाडिया दी गई एक करोड़ से जादा का खर्च तो सरकार की तरफ से कर दिया गया लेकिन वो भी सफ़ेद हाथी साबित हो रही है ! इन दोनों विधानसभा हलको के पास गाडिया तो है लेकिन कर्मचारी नहीं है !
V/o..वहीँ इस मामले में मोगा के फायर ऑफिसर वरिंदर सिंह का कहना है की उनके पास गाडिया तो है फायर सूट भी है लेकिन स्टाफ की बहुत कमी है ! उनके मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट बेस पर 10 कर्मी है ३ ड्राईवर है जिनमे से 4 ही पक्के है ! उनके मुताबिक 2 ड्राईवर नगर निगम से लिए है ! सरकार द्वारा कच्चे मुलाजिम भर्ती करने के लिए मंजूरी दी हुई है जिनमे 20 फायर मैन 8 ड्राईवर की दी है आउट सोर्स की !जिसका प्रोसेस जारी है ! उनके मुताबिक एक गाडी पर 21 लोगो की जरूरत पड़ती है वहीँ बाघापुराना और धर्मकोट के बारे में उन्होंने कहा की 5 महीने हो गए है सरकार की तरफ से गाडिया दिए को लेकिन अभी वहां की बिल्डिंग और स्टाफ का प्रोसेस चल रहा है जल्द से जल्द उसको पूरा कर लिया जायेगा ! उनका कहना है अगर वहां कोई आग लगती है तो मोगा से ही जाती है गाड़ी ! जब बाघापुराना और धर्मकोट में स्टाफ आ जायेगा तो वहीँ से शुरू होगा !
वहीँ इस मामले में मोगा फायर स्टेशन पर फायर कर्मिओ का कहना है की यहाँ स्टाफ की बहुत कमी है और जादातर कच्चे मुलाजिम है जिनकी तनखा बहुत कम है जिससे उनका गुजारा भी नहीं होता ! और उनको भी 12 -12 घंटे काम करना पड़ता है ! और उनकी नौकरी भी ऐसी है की यह काम इमरजेंसी का है तो हर पल गाड़ी के साथ रहना पड़ता है ! एक गाडी पर केवल एक ड्राईवर और फायर मेन ही जाते है जबकि एक दिन में तीन शिफ्ट में १८ लोगो की जरूरत होती है ! उनका काम बहुत जोखिम भरा है न तो उनका कोई बीमा न ही उनको बाद में कोई पूछने वाला है ! उनकी मांग है की उनको पक्के किआ जाए !