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इस FAST फॉर्मूले की हेल्प से स्ट्रोक का लक्षण आसानी से पहचान सकते हैं, सुने डॉ. से

 

स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है, जिसे ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है। देखा जाए, तो आज के समय में स्ट्रोक बहुत आम समस्या है।हर साल स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। आश्चचर्य की बात नहीं है कि आने वाले समय में यह बीमारी खतरनाक रूप ले लेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, स्ट्रोक तब होता है, जब मास्तिष्क में ब्लड वेसेल्स फट जाती हैं और खून बहने लगता है।

 

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल बहरानी के अनुसार, स्ट्रोक भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण है। आमतौर पर स्ट्रोक दो तरह के होता है। पहला ब्लड क्लॉट और दूसरे हैमरेज। ब्लड क्लॉट में ब्रेन में क्लॉटिंग हो जाती है और दूसरे में ब्रेन में हेमरेज हो जाता है। सामान्यतौर पर हम जो देखते हैं उनमें वेसेल्स ब्लॉक हो जाती हैं, जिसे इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। इस कारण हमारे न्यूरॉन्स नष्ट हो जाते हैं। जैसे-जैसे मरीज स्ट्रोक के लक्षणों के साथ गुजर रहा होता है, हर 1 मिनट में उसके 19 लाख न्यूरॉन्स नष्ट होते हैं। इसलिए स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बहुत कम लोगों का स्ट्रोक की पूरी और सही जानकारी होती है। इसलिए डॉ.बहरानी बता रहे हैं स्ट्रोक के लक्षण, कारण और बचाव करने के तरीके।

स्ट्रोक एक ऐसी समस्या है, जो दिमाग में रक्त का प्रवाह रूक जाने के कारण होती है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति के दिमाग की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। स्ट्रोक से बचने के लिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के बारे में जानना बेहद जरूरी है।

स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है, जिसे ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है। देखा जाए, तो आज के समय में स्ट्रोक बहुत आम समस्या है।हर साल स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। आश्चचर्य की बात नहीं है कि आने वाले समय में यह बीमारी खतरनाक रूप ले लेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, स्ट्रोक तब होता है, जब मास्तिष्क में ब्लड वेसेल्स फट जाती हैं और खून बहने लगता है।

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल बहरानी के अनुसार, स्ट्रोक भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण है। आमतौर पर स्ट्रोक दो तरह के होता है। पहला ब्लड क्लॉट और दूसरे हैमरेज।

ब्लड क्लॉट में ब्रेन में क्लॉटिंग

हो जाती है और दूसरे में ब्रेन में हेमरेज हो जाता है। सामान्यतौर पर हम जो देखते हैं उनमें वेसेल्स ब्लॉक हो जाती हैं, जिसे इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। इस कारण हमारे न्यूरॉन्स नष्ट हो जाते हैं।

जैसे-जैसे मरीज स्ट्रोक के लक्षणों के साथ गुजर रहा होता है, हर 1 मिनट में उसके 19 लाख न्यूरॉन्स नष्ट होते हैं। इसलिए स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बहुत कम लोगों का स्ट्रोक की पूरी और सही जानकारी होती है। इसलिए डॉ.बहरानी बता रहे हैं स्ट्रोक के लक्षण, कारण और बचाव करने के तरीके।

स्ट्रोक के लक्षण-

मास्तिष्क में ब्लड फ्लो में कमी मास्तिष्क के भीतर के ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है। मास्तिष्क के डैमेज हिस्सों के द्वारा नियंत्रित शरीर के अंगों में स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देते हैं। डॉ.बहरानी कहते हैं कि स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल जितनी जल्दी की जाए, उसके परिणाम उतने ही बेहतर होंगे। इस कारण स्ट्रोक के लक्षणों को जानना और भी जरूरी हो जाता है। स्ट्रोक के लक्षणों में शामिल है- पैरालिसिस की स्थिति पैदा हो सकती है। स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को हाथ, चेहरे और पैर में सुन्नता या कमजोरी महसूस होती है।

ब्रेन स्ट्रोक के मरीज

के शब्द साफ नहीं निकलते हैं और अचानक से उसके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है। स्ट्रोक से जूझ रहे व्यक्ति को चक्कर आने लगते हैं। दोनों आंखों से देखने में परेशानी होना स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को चलने-फिरने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

लक्षण दिखने पर फॉलो करना चाहिए फास्ट कंसेप्ट फास्ट (FAST) सोचें और करें-

F चेहरा-

इसमें व्यक्ति को मुस्कुाने के लिए कहें और देखें कि व्यक्ति के चेहरे की एक तरफ झुकाव है या नहीं।

A आर्म्स –

दोनों हाथें को उठाने के लिए कहें। क्या एक हाथ उठाने में असमर्थ है।

S स्पीच-

क्या व्यक्ति के बोलने में आपको असामान्यता महसूस होती है।

T टाइम-

तुरंत टाइम नोट करें और डॉक्टर के पास जाएं।

स्ट्रोक के कारण

स्ट्रोक दो मुख्य कारण

हैं। ब्लॉक्ड आर्टरी (इस्केमिक स्ट्रोक ) और हेमोररहगीक स्ट्रोक। कुछ लोगों के मास्तिष्क में ब्लड फ्लो में केवल एक अस्थाई व्यवधान होता है। जिसे टीआईए (TIA) कहते हैं।

इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke) –

यह स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है। यह तब होता है जब मास्तिष्क की ब्लड वेसेल्स के संकुचित हो जाने से ब्लड फ्लो गंभीर रूप से कम हो जाता है। कुछ शुरूआती शोधों से पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण इस्केमिक स्ट्रोक का संभावित कारण हो सकता है।

हेमोररहगीक स्ट्रोक (Hemorrhagic stroke) –

यह

स्ट्रोक तब होता है जब

आपके मास्तिष्क में ब्ल वेसल्स फट जाती हैं।

ब्रेन हैमरेज

आपकी ब्लड वेसेल्स को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के कारण हो सकता है। अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, ब्लड वेसेल की दीवारों में प्रोटीन का जमा हो जाना हैमोरेगिक स्ट्रोक से संबंधित कारकों में शामिल है।

ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (Transient ischemic attack) –

इसे कभी-कभी मिनी स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है। टीआईए तब होता है जब एक क्लॉट आपके तंत्रिका तंत्र के हिस्से में रक्त के प्रवाह को ब्लॉक कर देता है। बता दें कि टीआईए होने से बाद में विकसित स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

स्ट्रोक के जोखिम कारक

आज के दौर में

तनाव स्ट्रोक का बड़ा रिस्क

फैक्टर है।

सर्दियों के मौसम में स्ट्रोक का खतरा 14-15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

स्मोकिंग, अल्कोहल का सेवन कम कर दें। इससे भी स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।

डायबिटीज, हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने के लिए लगातार जांच कराते रहें।

स्ट्रोक को कैसे रोकें

धूम्रपान छोड़ें-

यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोडऩे से स्ट्रोक का खतीरा बेहद कम हो जाएगा।

शराब का सेवन सीमित करें-

ज्यादा शराब का सेवन आपके

ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है।

वजन मेंटेन रखें-

अधिक वजन और मोटापे से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अपने वजन को प्रबंधित करने के लिए संतुलित आहार लें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।

नियमित जांच कराएं-

डॉक्टर्स ब्लड प्रेशर ,

कोलेस्ट्रॉल की जांच

नियमित रूप से कराने की सलाह देते हैं। इन सभी उपायों को करने से आपको स्ट्रोक से बचाव के लिए बेहतर स्थिति में लाने में मदद मिलेगी।

स्ट्रोक से निपटने के दौरान ज्यादा सर्तक रहना बेहतर है। यदि आपको लगता है कि आप स्ट्रोक के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो इमरजेंसी हेल्प लेने से न डरें। हालांकि, स्ट्रोक को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव आपके जोखिम को बहुम कम कर सकते हैं।

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