पेरिस ओलंपिक एग्जीक्यूटिव लैंबिस कोन्सटेनटिनडिस चार दिनों की गुजरात यात्रा पर हैं।
गांधीनगर के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक अनुसंधान सम्मेलन हो रहा है। इसमें विभिन्न देशों के ओलंपिक से जुड़े लोग मौजूद हैं। इसी मौके पर दिव्य भास्कर ने पेरिस ओलंपिक एग्जीक्यूटिव लैंबिस कोन्सटेनटिनडिस से बात कर जान
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भारत में ओलंपिक 2036 की मेजबानी की क्या संभावना है? लैंबिस ने कहा कि भारत विशाल संभावनाओं वाला देश है, क्योंकि भारत की जनसंख्या को देखते हुए हम भी यहां ओलंपिक कराने में रुचि रखते हैं। भारत की ओलंपिक की मेजबानी उसकी ठोस योजना और दीर्घकालिक खेल रणनीति पर निर्भर करती है। हालांकि संभावनाएं बहुत सकारात्मक हैं।
ओलिंपिक मेजबानी से अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है? यह उसके निवेश स्तर पर निर्भर करता है। इसमें बहुत सारे डवलपमेंट की आवश्यकता होती है, जिसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। लेकिन वह बुनियादी ढांचा काफी हद तक दीर्घकालिक रणनीति और ठोस योजना पर भी निर्भर करता है। हालांकि, अहमदाबाद में मौजूद व्यवस्थाओं को लेकर माहौल फिलहाल सकारात्मक है।
पर्यावरण पर क्या असर होता है? यह भी प्लानिंग पर ही निर्भर करता है। हमने पेरिस ओलंपिक में बहुत कम निर्माण कार्य किया। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल आधे से ज्यादा कम कर दिया था। इसके अलावा वहां रिन्युएबल एनर्जी का अरेंजमेंट किया गया था। इस तरह हमने कार्बन फ़ुटप्रिंट को 50 प्रतिशत से अधिक कम कर दिया था। ऐसी रणनीति अपनाने से आप पर्यावरण पर कम प्रभाव डाल सकते हैं। इनोवेटिव टेक्नोलॉजी का उपयोग करके, ओलंपिक क्लाइमेंट चेंज पर प्रभाव को रोक या कम कर सकते हैं। पेरिस ओलिंपिक इसका एक अच्छा उदाहरण है।
किसी देश को ओलिंपिक की मेजबानी से नुकसान उठाना पड़ा? सभी खेलों का लॉन्ग टर्म पॉजीटिव इफेक्ट होता है। मॉन्स्ट्रीयल, एथेंस या रियो को भले ही ओलिंपिक की मेजबानी से नुकसान हुआ हो, लेकिन उनके डोमेस्टिक प्रोडक्ट्स पर अच्छा असर हुआ। कुछ वस्तुएं देश पर निर्भर करती हैं। कुल मिलाकर, ओलंपिक के कारण सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती ही है।
आपकी चार दिनों की गुजरात यात्रा का क्या मकसद है? हम चर्चा करेंगे कि ओलंपिक 2036 के लिए भारत की ओर से सफल बिड कैसे लगाई जाए और ओलंपिक मानकों के अनुसार यहां किस-किस तरह की सुविधाएं तैयार की जाएं।