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महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में सियासी जंग: शिंदे गुट से SC ने कहा! आपके पास राजनीतिक बहुमत है, दिखाएं…

महाराष्ट्र में सियासी उठापटक जारी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने मंगलवार को शिवसेना पार्टी पर अपना अधिकार जताते हुए कहा कि एक विधायक दल अविभाज्य होता है और संगठनात्मक रूप से राजनीतिक दल से जुड़ा होता है। शिंदे समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन.के. कौल ने 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ को बताया कि प्रतिद्वंद्वी नेताओं का मंत्रालय से विश्वास उठ गया है।

मीडिया रिपोट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट से संबंधित एक मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एम.आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही थी। इस दौरान न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने शिंदे समूह से यह दिखाने को कहा कि उनके पास राजनीतिक बहुमत है, परंतु विधायक नहीं हैं। वरिष्ठ वकील एन.के. कौल ने अदालत को जवाब दिया कि वह बुधवार को इस मुद्दे पर संबोधित करेंगे।

‘फ्लोर टेस्ट का पहले का कारण दसवीं अनुसूची के उल्लंघन पर आधारित है’

साथ ही कोर्ट ने शिंदे खेमे से विभिन्न मुद्दों, निर्णयों पर कानूनी पहलुओं से कई सवाल भी पूछे और यह जानने की कोशिश की कि दलबदल और फ्लोर टेस्ट को कैसे अलग किया जा सकता है। CJI चंद्रचूड़ ने यह भी टिप्पणी की कि यदि फ्लोर टेस्ट का पहले का कारण दसवीं अनुसूची के उल्लंघन पर आधारित है, तो उस स्तर पर फ्लोर टेस्ट आयोजित करना दसवीं अनुसूची के पूरे आधार और उद्देश्य को विफल कर देगा। अदालत यह भी जानना चाहती थी कि क्या वे दल-बदल को वैध बना रहे थे, जो अन्यथा दसवीं अनुसूची के तहत अनुमति नहीं है।

वकील ने जवाब दिया कि उनका मामला दसवीं अनुसूची के तहत विभाजन का मामला नहीं है। वह एक पार्टी के भीतर एक प्रतिद्वंद्वी समूह के बारे में बात कर रहे हैं जो अप्रभावित है और यह पार्टी के भीतर लोकतंत्र का सार है। उन्होंने दावा किया कि उनका समूह शिवसेना है। सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि शक्ति परीक्षण की आवश्यकता के साथ समस्या कथित दलबदल की भी है और यह समस्या इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि विश्वास मत आंतरिक रूप से अयोग्यता प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है।

‘राज्यपाल को राजनीतिक दल के प्रमुख ने सूचित नहीं किया था’

वरिष्ठ वकील कौल ने आगे कहा कि यह आंतरिक मतभेदों का मामला है और शिंदे गुट शिवसेना का प्रतिनिधित्व करने वाला समूह है, जिसका फैसला भारत निर्वाचन आयोग कर सकता है। कौल ने कहा कि जहां तक ​​फ्लोर टेस्ट की बात है तो इसका संबंध सिर्फ इस बात से है कि मुख्यमंत्री पर भरोसा है या नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल को राजनीतिक दल के प्रमुख ने सूचित नहीं किया था कि वह महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से हट रहे हैं। इस पर कौल ने जवाब दिया कि राज्पाल को 55 में से 34 ने पत्र लिखा था और कहा था कि उन्हें इस सरकार पर विश्वास नहीं है। बता दें कि मंगलवार को सुनवाई अधूरी रहने के कारण, बुधवार के लिए स्थगित कर दी गई थी। महाराष्ट्र मे आए राजनीतिक संकट के संबंध में 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ प्रतिद्वंद्वी गुटों उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी।

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