नवरात्र के पांचवे दिन माँ स्कन्द माता की पूजा करि जाती हे। वे नवदुर्गा का ही रूप हे। उनका नाम स्कन्द से आया हे जो खुद उनके पुत्र कार्तिकेय हे। देव दानव युद्ध के दौरान माँ ने स्कन्द को खुद परीक्षण दिया था। जिसकी वजह से वे स्कंदमाता कहलाई।
माँ स्कन्दमाता को केले या उससे बनी मिठाइयों का भोग लगता हे। केले को चीनी और घी के साथ मिलाकर बर्फी का भोग लगाया जा सकता हे। स्कंदमाता को भक्तो के बिच भाग्य और आशीर्वाद के लिए पूजा जाता हे। वे प्रेम और मातृत्व की देवी भी हे।
स्कंदमाता मोक्ष के द्वार खोलने वाली माँ हे। स्कंदमाता अपने भक्तो की समस्त इच्छा पूर्ति करती हे। स्कंदमाता की उपासना करने से जीवन में खुशियाँ आती हे लोग संतान प्राप्ति हेतु भी इनकी ही उपासना करते हे। स्कंदमाता की चार भुजाये हे। दोनों हाथो में कमल हे और गोद में भगवान स्कन्द बालक रूप विराजित हे।