शोर-शराबे वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। न्यू जर्सी मेडिक्स ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा उन इलाकों में और बढ़ जाता है जहां एयरपोर्ट हैं। इन क्षेत्रों में हार्ट अटैक की दर 72 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल का दौरा पड़ने से 20 में से 1 मौत ध्वनि प्रदूषण के कारण होती है। तेज आवाज के कारण व्यक्ति नींद की कमी या गंभीर तनाव का शिकार हो जाता है। शोधकर्ता और हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एबेल मोरेरा कहते हैं, ‘रक्तचाप और मधुमेह की तरह ध्वनि प्रदूषण को भी हृदय रोग के लिए जिम्मेदार माना जाना चाहिए। यह शोध शायद हमें यह सोचने में मदद करता है कि ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण दिल के लिए खतरनाक हैं।’
तेज आवाज से बढ़ता है ब्लड प्रेशर – WHO
शोधकर्ता ने कहा कि 2018 में दिल का दौरा पड़ने की घटनाओं को क्रॉस चेक किया गया है। जिस स्थान पर ध्वनि का स्तर 65 डेसिबल के करीब होता है उसे ध्वनि प्रदूषण वाला क्षेत्र कहा जाता है। शोध में इन जगहों पर रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित बताया गया है। यहां स्थिति एक ही कमरे में रहने वाले व्यक्ति के साथ दिन-रात हंसने जैसी है। तेज आवाज के कारण इंसानों में न सिर्फ चिड़चिड़ापन होता है, बल्कि नींद में बहरापन और बहरेपन की समस्या भी पैदा हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ध्वनि का स्तर रात में 30 डेसिबल और दिन में 50 डेसिबल होना चाहिए। इस उच्च ध्वनि स्तर के कारण, शरीर में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं, हृदय गति और रक्तचाप बढ़ जाता है।
शांत स्थानों की तुलना में शोर से होने वाली मौतें लगभग दोगुनी हैं
शोधकर्ताओं ने लगभग 16,000 हार्ट अटैक के मरीजों को ध्वनि के विभिन्न स्तरों पर रखा। एक शांत जगह में एक लाख में केवल 1938 लोग हमले के कारण मारे गए। जबकि शोर-शराबे वाली जगहों पर एक लाख में 3336 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, शोध से यह नहीं पता चला कि ध्वनि प्रदूषण दिल के दौरे का कारण कैसे बनता है।