Karnavati 24 News
તાજા સમાચાર
ताजा समाचार
बिज़नेस

Budget 2022- किसानों को बजट से क्या चाहिए? क्या इस बार पूरे होंगे छोटे-छोटे सपने

Budget 2022-सुधीर के परिवार में मां, पत्नी व एक बेटा-बेटी सहित कुल पांच सदस्य हैं. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान खेतीबाड़ी तो प्रभावित नहीं हुई थी लेकिन गायों का दूध नहीं बिकने की वजह से आय टूट गई थी. इस नुकसान से वह अभी तक उबर नहीं पाए हैं.
बिजनौर के 42 वर्षीय किसान सुधीर राजपूत के पास सात बीघा जमीन है. आय का और कोई जरिया न होने की वजह से उन्होंने 14 बीघा जमीन किराए पर ले रखी है. इस तरह वह कुल 21 बीघा जमीन में खेतीबाड़ी करते हैं. गन्ने (Sugarcane Farming) की बुवाई में देरी होने से इस साल पैदावार 20 क्विंटल प्रति बीघा तक घट गई. डीजल की महंगाई है और भी लागत बढ़ी है. इस बार महीने के 10 हजार रुपए भी नहीं कमा पाएंगे. सुधीर के परिवार में मां, पत्नी व एक बेटा-बेटी सहित कुल पांच सदस्य हैं. दोनों बच्चे गांव से 12 किलोमीटर दूर मंडावर स्थित एक निजी स्कूल (Private School) में पढ़ते है. जो रोजाना स्कूल की बस से जाते हैं. सुधीर ने कमाई बढ़ाने के लिए गायें पालीं. दूध बेचने से होने वाली आय से ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च चल रहा था. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान खेतीबाड़ी तो प्रभावित नहीं हुई थी लेकिन गायों का दूध नहीं बिकने की वजह से आय टूट गई थी. इस नुकसान से वह अभी तक उबर नहीं पाए हैं.

बच्चों के स्कूल बंद हो गए और ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंटरनेट, स्मार्टफोन का जुगाड़ संभव नहीं है. दिन-रात की मेहनत के बाद सुधीर साल भर में 1.20 लाख रुपए बचा पाते हैं. सुधीर को किसान सम्मान निधि के 2000 रुपए की किस्त मिलती है. बड़ी मशक्कत के बाद यह रास्ता खुला लेकिन महीने में केवल 500 रुपए की आय बढ़ी.

दस-ग्यारह हजार रुपए महीने की कमाई में अब घर चलना असंभव है. सुधीर खेती करने वाले उन 90 फीसद परिवारों में से एक हैं जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है. आर्थिक सर्वे 2020 के अऩुसार देश में करीब 70 करोड़ लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खेती-किसानी से जुड़े हैं. आबादी बढ़ने के साथ देश में जोत का औसत आकार घटकर महज 1.08 एकड़ रह गया है. करीब छह बीघा जमीन में परिवार की गुजर-बसर कर पाना किसी भी सूरत में संभव नहीं है.

सुधीर पश्चमी उत्तर प्रदेश से आते हैं जहां सिंचाई के भरपूर साधन हैं. यहां किसान साल में तीन फसल उगाते हैं, जब यहां यह हाल है तो ओडिशा, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में क्या स्थिति होगी, सहज अनुमान लगाया जा सकता है.

बजट आएगा तो किसान किसान की गूंज उठेगी. सरकार आंकड़े देगी कि बीते चार साल में कृषि का बजट बढ़ाकर कई गुना हो गया.

सरकार ने एमएसपी पर फसलों रिकॉर्ड खरीद की लेकिन इससे कितने फीसद किसानों को लाभ मिल पाया, यह बात हमेशा चिंताजनक रहती है. कृषि क्षेत्र के लिए वर्ष 2020-21 के लिए कुल 1.42 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया. वर्ष 2021-22 में यह बजट बढ़कर 1.48 लाख करोड़ रुपए हो गया.

सरकार ने किसानों को क्या क्या दिया
सरकार ने एक दिसम्बर, 2018 से किसानों के लिए सम्मान निधि योजना शुरू की. इस वजह से वर्ष 2019-20 के लिए कृषि क्षेत्र का बजट बढ़ाकर 1.30 लाख करोड़ रुपए किया गया. बजट के दौरान गिनाया जा सकता है कि नई तकनीकी विकसित करने के लिए सरकार अनुदान देती है.

वर्ष 2015-16 में इस मद में 6000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जो वर्ष 2019-20 में 8000 करोड़ कर दिया गया. वर्ष 2021-22 के लिए इस मद में 8510 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. लेकिन सुधीर जैसों को पता ही नहीं है कि कृषि यंत्रों पर सब्सिडी जैसी कई योजनाओं का फायदा कैसे मिलता है.

जिन्हें मालूम है वह जटिल प्रक्रिया की वजह से वह इसका लाभ नहीं ले पाते. सुधीर जैसे लोग तो केवल खेती की सीधी लागत यानी सिंचाई, बिजली, डीजल, खाद मजदूरी और बाजार में फसलों की मिलने वाली कीमत का हिसाब लगाकर करते हैं. इसलिए कमाई बढ़ती ही नहीं.

किसानों के नाम पर बजट में खूब आंकड़ेबाजी भी दिखाई जाती है. बानगी के तौर पर पिछले बजट में सरकार ने कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपए कर दिया.

जब यह राशि बजट का हिस्सा होती ही नहीं है तो फिर इसका गुणगान क्यों किया जाता है, यह बड़ा सवाल है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद छोटे किसानों को सरकारी संस्थानों से कर्ज मिल पाना आसान काम नहीं है.

किसान क्रेडिट कार्ड
हालांकि किसान क्रेडिट कार्ड यानी केसीसी एक ऐसा जरिया है जो किसी तरह एक बार बन जाए तो कर्ज लेने की राह आसान हो जाती है. देश में 2.5 करोड़ किसानों के पास क्रेडिट कार्ड हैं. इसकी उपयोगिता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके तहत कर्ज की राशि 1.6 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च 2019 में 7.09 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया.

बस इतना सा ख्वाब
सुधीर नहीं चाहते उनका बेटा खेती करे. लेकिन पढ़ाई हो कैसे? महीने में कुछ बचता नहीं तो ऑनलाइन पढ़ाई के लिए खर्चा कहां से उठाया जाए. वे कहते हैं हमारी मेहनत देखिए रिकार्ड पैदावार कर रहे हैं लेकिन गरीबी नहीं जाती. बाहर के काम भी अब नहीं मिल पाते. सुधीर की ख्वाहिश है कि सरकार कुछ ऐसा कर दे जिससे उनकी महीने की कमाई 15,000 रुपए हो जाए. या तो लागत कम हो जाए या फिर फसल की कीमत सही मिलने लगे.

संबंधित पोस्ट

Apple में एक अमेरिकी स्टोर के कर्मचारियों ने संघ बनाने के लिए मतदान किया।

Karnavati 24 News

2023 के लिए अभी खरीदने के लिए अगली क्रिप्टोकरंसी, यहां है सबसे अच्छी 10 क्रिप्टोकरेंसी

Admin

आकाश से पाताल तक कस्तूरी: इलेक्ट्रिक कार और रॉकेट ही नहीं, सुरंग का भी एक उपक्रम, ग्राफिक में देखें एलोन मस्क की पूरी दुनिया

Karnavati 24 News

PNB इंस्टेंट लोन: PNB ग्राहकों को फ्री में मिल रहा है 8 लाख रुपये का फायदा, जानिए कैसे

Karnavati 24 News

ભાવનગરમાં આત્મા પ્રોજેક્ટની તાલીમ તા. ૧૨ મે ના રોજ યોજાશે .

Karnavati 24 News

CCI ने Amazon के विक्रेताओं Cloudtail, Appario पर छापा मारा; पूर्व में भी कुछ विक्रेताओं को तरजीह देने के आरोप लगते रहे हैं।

Karnavati 24 News