▪️जिस संगठन को सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की निर्मम हत्या के बाद दंगा, आतंक और अराजकता फैलाने के लिए बैन किया था, अगर उस संघ का प्रमुख हमारे स्वतंत्रता संग्राम, हमारी आज़ादी की जंग, हमारी स्वतंत्रता हमारे संविधान को ही नकारे तो क्या आप को ज़रा सा भी आश्चर्य होता है? मुझे तो नहीं होता
▪️मुझे तो दुख होता है इस बात का कि इस देश में इस क़दर नफ़रत फैलाई गई है, ऐसा माहौल बनाया गया है कि आज मोहन भागवत जैसे आदमी की हिम्मत है कि वो इस देश की आज़ादी पर सवाल उठा कर यह कह सकें कि हम 1947 में आज़ाद ही नहीं हुए थे
▪️अगर स्वतंत्रता नहीं मिली – अगर आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ी गई तो
• रानी झांसी से लेकर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अशफ़ाक उल्ला खां जैसों ने अपने प्राणों की आहुति किसकी आज़ादी के लिए दी?
• लाला लाजपत राय ने कहां की आज़ादी के लिए लाठियां खाईं?
• नेहरू ने अपनी जवानी के 10 साल जेल में कहां की आज़ादी के लिए बिता दिए, किस आज़ाद देश की नींव उन्होंने रखी?
• पटेल विदेश में वकालत छोड़ किसके स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने आए, किस आज़ाद देश में तमाम रियासतों और रजवाड़ों को जोड़ा?
• बाबा साहेब ने किस आज़ाद देश के लिए संविधान बना कर सबको बराबरी का मौक़ा दिया?
• महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के बल पर किसको उखाड़ फेंका?
• लाखों-करोड़ों भारतीयों ने ब्रिटिश हुकूमत को किस देश से खदेड़ कर 1947 में आज़ादी पाई?
▪️हमारी आज़ादी, आज़ादी के आंदोलन, संविधान के ऊपर सवाल उठा कर मोहन भागवत ने देशद्रोह किया है
▪️इनकी दिक्कत यह है कि आज़ादी में इन्होंने अपना एक नाखून तक नहीं कटाया – इन का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था, यह तो मुखबिरी कर रहे थे माफ़ीनामे लिख रहे थे – इसीलिए यह उस इतिहास को ही नकारना चाहते हैं
▪️जिन्होंने संविधान की प्रतियां जलाईं, बाबा साहेब के पुतले फूंके, 53 साल तिरंगे का बहिष्कार किया, वो ना आज़ादी को समझ सकते है, न आज देश के संविधान को समझ सकते हैं
▪️असल में उनको कुंठा है कि उनके पास एक भी ऐसा आदर्श नहीं है, जिसका इस देश में सम्मान हो। इनके आदर्श तो अंग्रेज़ों की मुखबिरी करते थे, माफीनामे लिखते थे, अंग्रेज़ों का साथ देते थे, उनको बताते थे कि कैसे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का दमन किया जाए
▪️इनको आज़ादी से इसलिए दिक्कत है कि आज़ादी के बाद देश में संविधान बना और संविधान ने उन सब लोगों को बराबरी का दर्जा दिया, जिनका वो सदियों से शोषण करते आए थे। इनको अपच है कि दलित, पिछड़े, आदिवासी समुदाय के लोग इनके बगल में बराबरी से बैठने लगे और अब वो इनका दमन सहने को तैयार नहीं हैं। वो संविधान में दिए हक को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसीलिए यह RSS वाले आज़ादी, आज़ादी के महानायकों, कांग्रेस के योद्धाओं और आज़ादी से उपजे संविधान का विरोध करते हैं
▪️और जब यह फंसे तो state शब्द के पीछे छिपने लगे, क्या गलत कहा है राहुल गांधी ने, बिल्कुल ठीक ही तो कहा है – हमारी लड़ाई पूरे तंत्र से है, उस state से है जिस पर पूरा संघ क़ाबिज़ है – एक निरंकुश सरकार से है
▪️मूर्ख भाजपाईयों को ‘राष्ट्र’ और ‘State’ में अंतर नहीं पता। ‘State’ निकम्मी सरकार, भ्रष्ट नौकरशाह, संघियों से भरी एजेंसियां हैं और सौ फ़ीसदी हमारी लड़ाई इनसे है, जो हम पूरी शिद्दत से लड़ेंगे और जीतेंगे। अरे कुछ नहीं तो संविधान का आर्टिकल 12 पढ़ लिया होता – state का मतलब पता चल जाता
▪️लेकिन एक बात माननी पड़ेगी, राहुल गांधी जैसी विचारधारा की स्पष्टता किसी और में नहीं है। मोहन भागवत ने देश की आज़ादी और संविधान पर सवाल उठाने वाला देशद्रोही वक्तव्य 48 घंटे पहले दिया था, लेकिन जब तक राहुल गांधी ने इस पर नहीं बोला था, तब तक हर ओर सुई टपक सन्नाटा था
▪️उनके बोलने के बाद ही विपक्ष के तमाम लोग और सोया हुआ मीडिया भी जागा। इसीलिए इस देश को राहुल गांधी की ज़रूरत है – उस नेता की जो बिना संशय के विचारधारा की लड़ाई लड़ रहा है, जो बिना किसी डर के मोहन भागवत के देशद्रोही वक्तव्य को वो कहने की ताक़त रखता है – जिसके लिए यह देश हर चीज़ से ऊपर, हर चीज़ से ज़रूरी है – जिसकी नसों में बलिदानियों का ख़ून बहता है और जिसके अपनों का रक्त तिरंगे में शामिल है
🔹🔹हमारी आज़ादी पर सवाल उठाने का काम एक देशद्रोही ही कर सकता है, देशभक्त कभी नहीं
: @SupriyaShrinate जी