उत्तरायण पर्व पर संभावित दुर्घटना से निपटने के लिए 108 की विशेष टीमें तैयार की गई है।
गुजरात में उत्तरायण उत्सव में पतंग उड़ाने का विशेष महत्व है। राज्य में उत्तरायण के त्योहार के दौरान बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं और आग लगने की घटनाएं होती हैं। ऐसे समय में राज्य में 108, फायर, करुणा हेल्पलाइन सहित विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की टीम यह स
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प्रदेश में 108 की तैयारी कैसी है? उत्तरायण पर्व पर संभावित दुर्घटना से निपटने के लिए 108 की विशेष टीमें तैयार की गई है। 108 आपातकालीन सेवा के मुख्य परिचालन अधिकारी जशवंत प्रजापति ने कहा कि उत्तरायण और वासी उत्तरायण के दो दिवसीय त्योहार के दौरान, किसी भी चिकित्सा आपात स्थिति और पूर्वानुमान से निपटने के लिए पहले से तैयारी की गई है। गुजरात में उत्तरायण के दो दिवसीय त्योहार में आमतौर पर वाहन दुर्घटनाएं, छतों से गिरने के मामले, पतंग के मांझे के हाथों और गर्दन कटने के मामले और बिजली के झटके के कारण चोट लगने के मामले सामने आते हैं। इसके लिए 108 सेवा को अलर्ट पर रखा गया है।
इस साल उत्तरायण में 4900 आपातकालीन मामले दर्ज होने की संभावना है। उत्तरायण से पहले ही हर दिन सैकड़ों आपातकालीन मामले आ रहे हैं। अनुमान है कि 14 जनवरी को 4900 इमरजेंसी केस और 15 जनवरी को 4500 इमरजेंसी केस आ सकते हैं। इसके चलते 108 के सभी स्टाफ को विभिन्न अस्पतालों से जोड़ा गया है, जिससे कि मरीज को नजदीक के किसी भी अस्पताल में इलाज मिल सके।
पशु-पक्षियों के लिए भी इमर्जेंसी सेवा उत्तरायण के त्योहार के दौरान पतंगों के मांझे से भारी संख्या में पक्षी और पशु भी घायल हो जाते हैं। इसके लिए भी 108 एंबुलेंस की टीमें तैयार की गई हैं। करुणा अभियान के तहत पशु-पक्षियों को भी आपातकालीन उपचार मिलेगा। बड़े शहरों में 37 एम्बुलेंस लगाई गई हैं। एम्बुलेंस करुणा अभियान का नंबर 1962 है। करुणा अभियान 13 जनवरी से 20 जनवरी तक चलेगा। इसके अलावा 50 अतिरिक्त एंबुलेंस की योजना बनाई गई है।
फायर ब्रिगेड की टीमें भी रहेंगी अलर्ट उत्तरायण उत्सव के दौरान फायर ब्रिगेड की टीमें भी लगातार काम करेंगी। आग बुझाने के अलावा 14 व 15 जनवरी को फंसे पक्षियों को की मदद के लिए भी फायर ब्रिगेड नंबर 101 पर कॉल कर सहायता ली जा सकती है। पक्षियों की मदद के लिए फायर ब्रिगेड लगातार विभिन्न एनजीओ और करुणा एंबुलेंस के संपर्क में रहेगी।
उड़ते हुए पक्षी और वाहन चालक पतंग की डोर से घायल हो जाते हैं। पिछले 17 वर्षों से निरीह पक्षियों की सुरक्षा एवं बचाव के लिए नर्सिंग एसोसिएशन एवं पार्श्वनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट-गोपीपुरा द्वारा न्यू सिविल अस्पताल में हेल्पलाइन सेवा के माध्यम से घायल पक्षियों के उपचार हेतु शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। वहीं, पक्षियों के लिए जीवन सहायता और डॉक्टरों की एक टीम और घायल रोगियों के इलाज के लिए एक एम्बुलेंस सेवा चालू है, इस वर्ष भी घायल पक्षियों और घायल नागरिकों के लिए न्यू सिविल अस्पताल में एक हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है।
करुणा अभियान के माध्यम से वडोदरा शहर में सात एम्बुलेंस तैनात की गई हैं। इसके साथ ही तीन ऑपरेशन थिएटर और 40 से ज्यादा कलेक्शन सेंटर भी बनाए गए हैं। इस अभियान के माध्यम से 500 स्वयंसेवक पक्षियों को उपचार और सेवाएं प्रदान करेंगे। घायल पक्षियों के इलाज के लिए गुजरात वन्यजीव हेल्पलाइन नंबर 8320002000 के साथ-साथ वडोदरा के लिए टोल फ्री नंबर 18002332636 और करुणा अभियान के तहत हेल्पलाइन नंबर 1962 24×7 घंटे चालू रहेंगे।
इन स्थितियों में क्या करें? यदि आप छत से गिरने, बिजली लाइन पर फिसलने या तार से गला घोंटने के कारण करंट की चपेट में आ जाते हैं तो तुरंत 108 पर संपर्क करें। यदि कोई घायल पक्षी मिलता है, तो उसे तुरंत किसी सुरक्षित स्थान पर उपयुक्त बक्से में रखें और तुरंत 1962 पर कॉल करें। घायल पक्षी के शरीर पर लिपटे धागे को जबरदस्ती हटाने का प्रयास न करें, क्योंकि इससे पक्षी को अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। संभव हो तो दोपहिया वाहन पर निकलने से बचें। टू-व्हीलर के आगे सेफ्टी वायर लगाएं। साथ ही हेलमेट पहनें और गले में मफलर भी लपेटकर रखें।
ये न करें? प्रतिबंधित चीनी मांझा व डोर का उपयोग न करें। पटाखे फोड़ने और बहुत तेज म्युजिक बजाने से बचें। सुबह 9:00 बजे से पहले और शाम 5:00 बजे के बाद पतंग उड़ाने से बचें बिजली की लाइनों से दूर पतंगें उड़ाएं। और उनमें उलझी पतंगों या डोर को हटाने की कोशिश न करें।