हिन्दू धर्म में शनिवार का दिन शनि देव का माना गया है। शनिदेव को कर्मो का देवता कहा जाता है क्योंकि यह कर्मो के आधार पर ही फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति के कर्म बुरे हैं तो उसे शनि की महादशा झेलनी पड़ेगी वहीँ यदि किसी व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो शनिदेव उस व्यक्ति पर अपनी कृपा बरसते हैं।जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव होता है उसे रोग समेत कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति शनि के बुरे प्रभाव से बचना चाहता हैं तो उसे कुछ विशेष उपाय जरूर आजमाने चाहिए।
- शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन भोजन में काला नमक और काली मिर्च का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। इससे शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव भी कम होता है।
- शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाने चाहिए यह भी बेहद लाभकारी होता है। इस दिन अगर आप काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलाएंगे तो शनिदेव प्रसन्न होंगे।
- शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा जरूर करनी चाहिए। इसलिए खाना बनाते समय सबसे पहली रोटी गाय के लिए निकालें फिर गाय के सींग पर कलावा बांधकर उन्हें रोटी और एक मोतीचूर का लड्डू का खिलाएं।
- शनिवार के रात को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं और ध्यान रखें कि यह दीपक आटे से बना हुआ होना चाहिए। इसके बाद पीपल की 5 या 7 बार परिक्रमा लगानी चाहिए।
- इसके अलावा शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करना चाहिए और जल में थोड़ा सा दूध मिलाना अधिक लाभदायक होगा।