धूम्रपान करने वालों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। लेकिन जो लोग धूम्रपान करने वालों के आसपास रहते हैं, उनमें भी त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे दाद, एक्जिमा और सोरायसिस के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान न करने वालों पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस अध्ययन से पता चला कि तंबाकू के धुएं से निकलने वाला कचरा आसपास की सतहों और धूल में चिपक जाता है। यह अनिश्चित काल तक इनडोर सतहों पर रह सकता है। यह धूम्रपान करने वालों और धूम्रपान न करने वालों दोनों को संभावित हानिकारक पदार्थों के संपर्क में ला सकता है।
एक शोध के अनुसार सेकेंड हैंड धुएं से होने वाले प्रदूषण के संपर्क में आने से इंसानों में त्वचा रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। शोध के अनुसार हमने पाया कि सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से व्यक्ति में दाद, एक्जिमा और सोरायसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
10 धूम्रपान न करने वालों पर किया गया शोध इस शोध में 22 से 45 वर्ष की आयु के 10 लोगों को शामिल किया गया था। ये लोग धूम्रपान नहीं करते थे और पूरी तरह स्वस्थ थे। धूम्रपान के धुएं वाली शर्ट पहनकर प्रत्येक व्यक्ति को 3 घंटे तक 15 मिनट तक ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा गया। पसीने के कारण यह प्रदूषण शरीर में अधिक तेजी से प्रवेश करता है।
इसके बाद इस शोध में शामिल हुए लोगों के खून और पेशाब के बारे में बताया गया। इसके साथ ही उनके शरीर में प्रोटीन समेत अन्य कारकों में बदलाव की भी जांच की गई। वैज्ञानिकों ने पाया कि धूम्रपान प्रदूषण के संपर्क में आने से लोगों में डीएनए, लिपिड और प्रोटीन क्षतिग्रस्त हो गए। यह सिगरेट पीने वालों को होने वाले नुकसान के समान था। त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग होने के साथ-साथ प्रदूषण से भी क्षतिग्रस्त होती है।