फरीदाबाद, 26 अगस्त। कोरोना काल के बाद ऑनलाइन कक्षाओं के प्रति स्कूल-कालेजों का रुझान बढ़ा है। बच्चे के हाथ में अब पहले की मुकाबले अधिक समय तक मोबाइल रहता है। ऐसे में उनके साइबर अपराध का शिकार होने की आशंका बढ़ गई है। पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा ने साइबर थाना पुलिस को स्कूलों में जाकर बच्चों को साइबर अपराध से बचाव के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत साइबर थाना एनआईटी प्रभारी बसंत कुमार सेक्टर-88 स्थित माडर्न दिल्ली पब्लिक स्कूल में पहुंचे।
उन्होंने कहा कि स्कूल कालेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को साइबर बुलिंग, साइबर स्टरकिंग, पोर्नोग्राफी तथा साइबर ग्रूमिंग जैसे अपराध के बारे में जानकारी होना जरूरी है। साइबर बुलिंग का अर्थ है कि किसी व्यक्ति के सामने जाए बिना ही इंटरनेट के माध्यम से मजाक उड़ाना। यदि कोई व्यक्ति किसी परेशानी से गुजर रहा होता है तो कुछ नकारात्मक प्रवृत्ति के व्यक्ति उसकी मदद करने के बजाय उसका मजाक उड़ाते हैं। यह कानूनन अपराध है। इंस्पेक्टर बसंत ने बताया कि जिस प्रकार एक व्यक्ति सड़क पर, घर या कार्यालय में किसी दूसरे व्यक्ति का पीछा करता है। उसी प्रकार इंटरनेट पर जब कोई व्यक्ति किसी की सारी जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट पर उसका पीछा करता है तो उसे साइबर स्टाकिंग कहते हैं।
उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति यौन शोषण के लिए विश्वास हासिल करने के उद्देश्य से इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से बच्चों के साथ भावनात्मक बंधन बनाता है। इसे साइबर ग्रूमिंग कहते हैं। अपराधी उकसाकर उनकी अश्लील तस्वीरें या वीडियो हासिल कर लेते हैं। इन्हीं के आधार पर ब्लैकमेल किया जाता है। ब्लैकमेलिंग में भी बच्चों से रकम के बजाए उनसे उनकी अश्लील तस्वीरें या वीडियो मांगे जाते हैं। इसके बाद वह इन वीडियो और तस्वीरों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए अश्लील वेबसाइट को बेच दिया जाता है।
इंस्पेक्टर बसंत ने विद्यार्थियों से कहा कि उन लोगों से बात करने से बचें, जो आपसे आपके शारीरिक या यौन अनुभव से जुड़े सवाल पूछते हैं। आप उस व्यक्ति से कह सकते हैं कि वह आपसे ऐसे सवाल करना बंद कर दे, आप असहज महसूस करते हैं। यदि वे ऐसा ही करना जारी रखते हैं, तो तुरंत अपने माता-पिता को सूचित करें। उन लोगों से बात न करें, जो आपसे आपकी कामुक तस्वीरें या वीडियो साझा करने के लिए कहते हैं। यदि आप किसी व्यक्ति के साथ अपनी कामुक फोटो या वीडियो साझा करते हैं। ऐसे किसी भी अपराध के बारे में विद्यार्थी स्वयं या अपने माता-पिता के माध्यम से पुलिस को सूचित कर सकते हैं।