फरीदाबाद, 12 अगस्त। सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने भगवान श्री लक्ष्मीनारायण को रक्षा सूत्र बांधा और लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की। उन्होंने वैकुंठवासी गुरु महाराज को भी रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
उन्होंने बताया कि रक्षासूत्र की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है। इसका वैदिक काल में भी प्रमाण मिलता है और चारों युगों में रक्षासूत्र का महत्व अनेक कथानकों के माध्यमों से जनता को बताया गया है। उन्होंने कहा कि आज इस पर्व को केवल बहन भाई के साथ जोड़कर देखा जाता है, जबकि यह रक्षा का वचन मांगने की परंपरा है, रीति है जिसका निर्वहन हर व्यक्ति अपने से बड़े व्यक्ति की कलाई में सूत्र बांधकर करता है।
श्री गुरु महाराज ने कहा कि रक्षा सूत्र का प्रमाण इन्द्र और बलि के बीच हुए युद्ध में आता है, जिसमें भगवान विष्णु के कहने पर इन्द्र की पत्नी शची ने इन्द्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा और युद्ध में इन्द्र विजयी हुए। इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण और द्रोपदी के बीच भी रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा का वर्णन हमें प्राप्त होता है।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने बताया कि रक्षा सूत्र अपने प्रिय की जीत के लिए, उनकी मनोकामना पूर्ति के लिए भी बांधा जाता है। लेकिन यह सूत्र हमें हमारी सीमाओं और जिम्मेदारी का भी भान कराता है। यहां पहुंचे हजारों भक्तों ने भी उन्हें राखी भेंट की और आशीर्वाद एवं प्रसाद प्राप्त किया।