ऐसा प्रतीत होता है कि एक डरावह सपना हकीकत हो गया है. यूक्रेन पर रूस के हमले के अनुसार की गई सैन्य कार्रवाई के दौरान यूरोप के सबसे बड़े संयंत्र इनेरहोरेट स्थित जापोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग लग गई. इससे इस स्थिति को समझ सकते हैं कि रूसी सैनिक जिस परमाणु संयंत्र पर कब्जे के लिए गोलाबारी कर रहे थे, वह यूक्रेन की 25 फीसदी बिजली आपूर्ति करता है. इस संयंत्र में 950-मेगावाट क्षमता के छह बढ़े रिअभिनेता हैं जिनका निर्माण 1980 से 1986 के बीच किया गया है लेकिन ये अब बंद चुके चेर्नोबिल ऊर्जा संयंत्र से अलग है. बहु मंजिला प्रशिक्षण इमारत में आग लगी लेकिन समाचार है कि उसे बुझा दिया गया है. क्यां परमाणु प्रदूषण का असली खतरा है?
इस घटना ने साल 1986 के चेर्नोबिल जैसी आपदा की आशंका बढ़ा दी है लेकिन यह याद रखना चाहिए कि ये रिअभिनेता अलग तरीके के हैं. चेर्नोबिल में आरबीएमके प्रकार के रिअभिनेता स्थापित किए गए थे जिसे सोवियत ने 1970 के दशक में तैयार किया था और सुरक्षा खामियों के कारण पश्चिमी राष्ट्रों ने इनका कभी इस्तेमाल नहीं किया. जापोरिजिया परमाणु संयंत्र में रूस द्वारा तैयार किये गये वीवीईआर रिअभिनेता लगाए गए हैं जो मोटे तौर पर दाबयुक्त जल रिअभिनेता (पीडब्ल्यूआर) की तरह है और पूरे विश्व में इस्तेमाल किए जाने वाले रिअभिनेताों में सबसे अधिक लोकप्रिय है और इनका इस्तेमाल परमाणु चालित पनडुब्बियों में भी होता है.
पीडब्ल्यूआर में अपनी प्राथमिक जल शीतल प्रणाली होती है जो रिअभिनेता के केन्द्र से ऊष्मा प्राप्त कर उसे भाप जेनरेटर को भेजता है. इस प्रणाली को दबावयुक्त रखा जाता है ताकि पानी नहीं उबले जैसा कि नाम से ही साफ है. दूसरा, पानी का एक अलग ‘लूप’ होता है जो भाप जेनरेटर में पैदा होने वाली भाप को बिजली पैदा करने के लिए टरबाइन को भेजता है. चेर्नोबिल से अहम अंतर है कि किसी भी विकिरण को रोकने के लिए वीवीईआर और पीडब्ल्यूआर रिअभिनेताों के चारों ओर कंक्रीट की मोटी दीवार होती है. यह रिअभिनेता और भाप जेनरेटर के चारों ओर होता है जो सुनिश्चित करता है कि कोई पानी जो संरेटित तौर पर रेडियोधर्मी हो सकता है, निश्चित क्षेत्र में ही रहे. यह अवरोधक कंक्रीट और इस्पात से बना होता है. इसके उलट चेर्नोबिल जैसे रिअभिनेता बहुत बड़े थे और इसका अभिप्राय है कि पूरी प्रणाली को घेरना बहुत ही महंगा था. सामान्य ठंडा करने की प्रणाली के अलावा वीवीईआर रिअभिनेताों में आपात स्थिति में केन्द्र को ठंडा करने की प्रणाली होती है जिसमें चार ‘‘जलसंचायक’’ होते हैं.
यह पात्र होते हैं जिन पर गैस का दबाव होता है और जल भरा होता है जो स्वत: ही रिअभिनेता को ठंडा करने में सहायता करते हैं. इसे ‘निष्क्रिय’ प्रणाली कहते हैं क्योंकि ये पानी छोड़ने के लिए बिजली से चलने वाले पंप के बजाय गैस के दबाव पर निर्भर रहते हैं. इनमें बहु प्रणाली होती है जो पंप का इस्तेमाल पानी डालने के लिए करते हैं ताकि ठंडा करने की सामान्य प्रणाली के कार्य नहीं करने की स्थिति में रिअभिनेता के केन्द्र को पिघलने से रोके. उदाहरण के लिए बिजली की आपूर्ति रुकने से. ग्रिड से बिजली की आपूर्ति बाधित होने पर वहां उपस्थित डीजल जेनरेटर संयंत्र के आवश्यक हिस्सों को बिजल आपूर्ति कर सकते हैं.
पूर्ववर्ती आपदा साल 1979 में अमेरिकी प्रदेश पेंसिल्वेनिया स्थित तीन मील द्वीप पर पीडब्ल्यूआर पर बने रिअभिनेताों में से एक के केन्द्र के पिघलने की घटना हुई लेकिन व्यावहारिक रूप से रेडियोधर्मी तत्वों का विकिरण पर्यावरण में नहीं हुआ क्योंकि उसके चारों ओर कंक्रीट के अवरोध बनाए गए थे. साल 2011 में जापान की फुकुशिमा आपदा के बाद यूक्रेन के नियामकों ने अपने परमाणु संयंत्रों की मजबूती का परीक्षण किया ताकि देखा जा सके कि क्या वे इस तरह की आपदा का सामना कर सकते हैं.
इसके बाद मोबाइल डीजल से चलने वाले पंप लगाए गए ताकि आपात स्थिति में रिअभिनेता के ठंडा करने की प्रणाली को पानी की आपूर्ति की जा सके. जापोरिजिया संयंत्र यूक्रेन को 25 फीसदी बिजली की आपूर्ति करता है और इसलिए बताया जा रहा है कि रूस उस पर कब्जा करना चाहता है ताकि उसकी बिजली आपूर्ति पर नियंत्रण किया जा सके. परमाणु संयंत्र के पास लापरवाही पूर्ण युद्ध के बावजूद यह रूस के भलाई में नहीं है कि वहां विकिरण हो क्योंकि इससे तत्काल उसके सैनिक असरित होंगे और यह भी आशंका है कि रेडियोधर्मी तत्वों का रिसाव पश्चिमी रूस खासतौर पर उसके कब्जे वाले क्रीमिया प्रायद्वीप तक पहुंच जाए.