अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि रूस संबंधी कुछ मामलों पर हिंदुस्तान के सार्वजनिक रुख में परिवर्तन इनकमा है और आशा है कि नयी दिल्ली यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद स्वयं को मॉस्को से और दूर कर लेगी. रूसी बलों ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला शुरू किया था. रूस और यूक्रेन ने बुधवार को कहा कि वे हमले के बाद दूसरी बार वार्ता करने के लिए तैयार हैं. दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिका के सहायक विराष्ट्र मंत्री डोनाल्ड लु ने निकट पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद विरोधी मामलों पर सीनेट की विराष्ट्र मामलों की उप समिति के समक्ष कहा, हम कुछ मामलों पर हिंदुस्तान के रुख में पहले ही परिवर्तन देख सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से हिंदुस्तान के दूर रहने का जिक्र करते हुए लु ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदुस्तान के स्थायी प्रतिनिधि के दिए बयान को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, हमने पिछले दो दिन में इस दिलचस्प परिवर्तन को देखा है. जैसा कि आपने कल देखा, हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने कहा कि वह हिंदुस्तान से यूक्रेन में मानवीय सहायता भेजेगी. यह परिवर्तन जरूरी है. यूक्रेन का नेतृत्व इसके लिए निवेदन कर रहा है. लु ने कहा, दूसरी बात, उसने संयुक्त राष्ट्र सत्र के दौरान सभी राष्ट्रों से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का पालन करने और अन्य राष्ट्रों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का पालन करने का आह्वान किया. यह रूस की आलोचना नहीं थी, लेकिन यह यूक्रेनी संप्रभुता का उल्लंघन करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रूस द्वारा अवहेलना किए जाने का साफ जिक्र था.
यानी, हम छोटे-छोटे कदम आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा, हम जहां हैं और हमारे हिंदुस्तानीय साझेदार जहां है, हम उस अंतर को पाटने की प्रयास कर रहे हैं. अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि यूक्रेन में हिंदुस्तानीय विद्यार्थीों पर न सिर्फ रूसी बम गिरने का खतरा है, बल्कि उन्हें यूक्रेन से बाहर निकलने में भी परेशानीों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि रूस पर अपने रुख को लेकर साफीकरण देते हुए हिंदुस्तान ने दो वस्तुों पर ध्यान केन्द्रित किया है. उन्होंने कहा, पहली वस्तु यह है कि वे इस संघर्ष के कूटनीतिक निवारण की संभावना के मार्ग खुले रखना चाहते हैं. जैसा कि हमने कहा है, इसकी संभावना बहुत कम है, क्योंकि रूसी बल यूक्रेन में असैन्य स्थलों को लगातार निशाना बना रहे हैं. लु ने कहा कि वे दूसरी जिस बात पर जोर दे रहे हैं, वह यह है कि हिंदुस्तान के कई विद्यार्थी अब भी यूक्रेन में हैं और वे उनकी सुरक्षा के लिए यूक्रेन गवर्नमेंट और रूस गवर्नमेंट दोनों के साथ मिलकर कार्य करने की प्रयास कर रहे हैं.