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एमपी में ओबीसी और दलित वर्ग को साधने में जुटी राजनीतिक पार्टियां, जानिए क्या है समीकरण

मध्य प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियां शुरू हो गई हैं. बीजेपी और कांग्रेस पार्टी दोनों ही पार्टियां अपने-अपने वोटरों को साधने में जुटी हुई है. बीजेपी ने इसकी आरंभ बूथ विस्तारक अभियान से की. और इसी के साथ साथ बीजेपी सरेंडर निधि अभियान के अनुसार चंदा भी इकट्ठा कर रही है
वहीं मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी ने घर चलो घर-घर चलो अभियान की आरंभ की. इस अभियान के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि घर घर जाकर बीजेपी की कूट नीतियों के बारे में जनता को बताएगी. और इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी अपने कार्यों को बताएगी. इस अभियान के अनुसार कांग्रेस पार्टी उन नेताओं को भी शामिल करेगी जो हकीकत्चे मन से केवल और केवल कांग्रेस पार्टी के लिए ही कार्य करेगी.
अब बात आती है ओबीसी वर्ग की जिसे साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस पार्टी भिन्न-भिन्न हथकंडे अपना रही है. ओबीसी वर्ग को साधना मध्य प्रदेश में इसलिए भी जरूरी बताया जाता है जो कि लगभग 51% वोटर ओबीसी वर्ग के हैं. और इस वर्ग का वोट पाना एक तरह से गवर्नमेंट को बहुमत दिलाने में काफी मददगार साबित होगा.बीजेपी-कांग्रेस पार्टी दोनों ही दल रविदास जयंती पर कार्यक्रमों का इनकमोजन कर रहे हैं. बीजेपी जहां बड़े स्तर पर रविदास जयंती मनाने जा रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी भी सागर में रविदास जयंती मनाएगी. कांग्रेस पार्टी के इनकमोजन पर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि हम भगवान रविदास की जयंती पहले से मनाते आए हैं. कांग्रेस पार्टी को बड़ी देर से याद इनकमी है.
वहीं कांग्रेस पार्टी नेता अजय सिंह यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए बताया कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27% रिज़र्वेशन का अधिकार और अधिकार कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट ने दिया है. बीजेपी पिछड़े वर्गो के साथ धोखा कर रही थी. और इसलिए मध्यप्रदेश के विभिन्न पिछड़ा वर्ग संगठनों ने 15 फरवरी को भोपाल में बड़ा इनकमोजन रखा है. जिसमें कमलनाथ के प्रति प्रति आभार और धन्यवाद ज्ञापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही प्रदेश का पिछला वर्ग दृढ़ संकल्पित है कि 2023 में कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट बनानी है.
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं. इन सीटों के अलावा भी कई सीटों पर दलित वर्ग का भी असर देखने को मिलता है. इसलिए दलित वर्ग को खुश रखना दोनों ही दल के लिए बहुत जरूरी है.यदि हम पिछले विधानसभा चुनाव की बात करे तो बीजेपी को इन्हीं सीटों पर हानि हुआ था. 2013 की तुलना में अनुसूचित जाति वर्ग की 10 सीटों का हानि बीजेपी को हुआ था. और इसलिए सभी दलित वर्ग को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं.
वहीं मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को लेकर लंबे समय से राजनीति जारी है. ओबीसी को 27 फीसदी रिज़र्वेशन मिलने के बाद बीजेपी और कांग्रेस पार्टी में श्रेय लेने की रेस देखने को मिल रही है. और दोनों दल दावा कर रहे हैं कि उनके कारण ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी रिज़र्वेशन मिला है.हाल ही में देखा गया था कि मध्य प्रदेश में आदिवासी वोटरों को साधने के लिए बीजेपी गवर्नमेंट ने रानी कमलापति, बिरसा मुंडा और टंट्या मामा जैसे महापुरुषों की जयंती मनाई थी इसी के साथ-साथ राजधानी भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर कर दिया था. वहीं टंट्या मामा की जयंती पर उनकी मूर्ति का अवलोकन भी किया गया था. बीजेपी के कई मंत्रियों ने शिवराज सिंह चौहान की तुलना टंट्या मामा से की थी.
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि जातिगत आधार पर मध्य प्रदेश के वोटरों को देखें तो लगभग 51% ओबीसी वर्ग के वोटर हैं. 22% वोटर आदिवासी, 16% दलित वोटर हैं. और 11% सामान्य वोटर है. देखा जाता है कि सबसे ज्यादा फीसदी ओबीसी वर्ग का है और उसके बाद आदिवासी. इन्हीं को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस पार्टी भिन्न-भिन्न अभियान चला रही है.

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