यह फोटो 23 मार्च की है, जब सगाई के दिन फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव मंगेतर सानिया को इंगेजमेंट रिंग पहनाकर उसे चूमते नजर आ रहे हैं। 2 अप्रैल को वह शहीद हो गए।
हरियाणा के रेवाड़ी के शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव सगाई के 10 दिन बाद शहीद हो गए। उन्होंने सगाई के दिन घुटनों पर बैठकर मंगेतर को इंगेजमेंट रिंग पहनाई थी।
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वहीं सिद्धार्थ का यूनिफॉर्म पहनकर अपने स्कूल जाने का वादा भी अधूरा रह गया। उन्हें स्कूल से बहुत लगाव था। जब वे फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर प्रमोट हुए तो रेवाड़ी के कैंब्रिज स्कूल में पहुंचे थे। जहां वे अपने पुराने क्लासरूम में भी गए। इस दौरान प्रिंसिपल से उन्होंने दोबारा आने की बात कही थी।
सिद्धार्थ 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में जगुआर क्रैश में शहीद हो गए थे। इसके बाद 4 अप्रैल को रेवाड़ी में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। वह परिवार के इकलौते बेटे थे। उनकी एक बहन है।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की उम्र महज 28 साल थी। – फाइल फोटो
बचपन, सगाई से शहादत तक, सिद्धार्थ यादव की पूरी कहानी…
एयरफोर्स स्कूल में हुई शुरुआती पढ़ाई सिद्धार्थ यादव के पिता सुशील यादव एयरफोर्स में थे। इसलिए जहां उनकी तैनाती रही, वहीं सिद्धार्थ की पढ़ाई हुई। सिद्धार्थ ने पहले केंद्रीय विद्यालय-1, एयरफोर्स स्कूल जोधपुर से पढ़ाई शुरू की। इसके बाद बैंगलोर एयरफोर्स स्कूल और फिर जोधपुर में एयरफोर्स स्कूल में पढ़ाई की। पिता और स्कूल के माहौल की वजह से सिद्धार्थ ने भी एयरफोर्स में जाने की ठान ली।
रेवाड़ी लौटकर यहां 12वीं तक पढ़ाई की साल 2010 में पिता एयरफोर्स से रिटायर हो गए। जिसके बाद वह रेवाड़ी में अपने घर लौट आए। इसके बाद सिद्धार्थ का दाखिला यहां के कैंब्रिज स्कूल में करा दिया। वहां सिद्धार्थ ने 8वीं से 10वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई दिल्ली कैंट के केंद्रीय विद्यालय-2 में हुई।
रेवाड़ी के स्कूल का क्लासरूम, जहां सिद्धार्थ यादव ने 10वीं की पढ़ाई की थी।
पढ़ाई में होनहार लेकिन शर्मीले थे सिद्धार्थ इस बारे में कैंब्रिज स्कूल की प्रिंसिपल प्रीतिका मुंजाल ने कहा- सिद्धार्थ पढ़ाई में तो शुरू से ही होनहार था। उसने 9.8 CGPA से 10वीं कक्षा की परीक्षा पास की थी। उस समय वह बहुत कम बोलता था। शर्मीले स्वभाव का लड़का था। मगर, जब अफसर बनकर स्कूल में आया तो गजब बेल रहा था। उसकी पर्सनैलिटी ने हमें बहुत प्रभावित किया।
2016 में NDA एग्जाम पास किया स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिद्धार्थ ने एयरफोर्स में जाने की तैयारी शुरू कर दी। साल 2016 में उन्होंने NDA की परीक्षा पास कर ली। इसके बाद 3 साल तक ट्रेनिंग हुई। सिद्धार्थ ने फाइटर पायलट के तौर पर एयरफोर्स जॉइन की। एयरफोर्स में ट्रेनिंग समेत 5 साल की सर्विस पूरी होने के बाद वह 2020 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए।
सिद्धार्थ 21 मार्च को छुट्टी आए थे, 23 मार्च को उन्होंने सानिया से सगाई की, इस दौरान दोनों बेहद खुश नजर आ रहे थे। 31 मार्च को सिद्धार्थ वापस ड्यूटी पर जामनगर लौटे थे।
शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट की सगाई से जुड़ी 3 अहम बातें
23 मार्च को सगाई हुई, 2 नवंबर को शादी होनी थी: सिद्धार्थ पिछले महीने ही छुट्टी पर घर आए थे। जिसके बाद 23 मार्च को उनकी सानिया से सगाई हुई। इस दौरान सिद्धार्थ ने घुटने टेककर सानिया को इंगेजमेंट रिंग पहनाई और गुलाब भी दिया था। इसके बाद सिद्धार्थ 31 मार्च को ड्यूटी पर गुजरात के जामनगर लौट गए थे। दोनों की शादी 2 नवंबर को होनी तय हुई थी। जिसकी तैयारियां भी शुरू हो गई थी।पिता ने नया घर खरीदा, दुल्हन की जगह पार्थिव देह आई: सिद्धार्थ का परिवार मूल रूप से रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा का रहने वाला था। वह गांव में ही रह रहे थे। अब फाइटर पायलट बेटे की शादी होने वाली थी तो उन्होंने रेवाड़ी के सेक्टर 18 में नया घर खरीदा था। इसी घर में शादी और दुल्हन आनी थी। मगर, 4 अप्रैल को जामनगर से सीधे यहां उनकी पार्थिव देह ही लाई गई।अंतिम विदाई देने पहुंची मंगेतर, बोलीं- प्लीज, एक बार शक्ल दिखा दो: सिद्धार्थ का 4 अप्रैल को पैतृक गांव भालखी माजरा में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान उनकी मंगेतर सानिया भी पहुंची। वहां सानिया पार्थिव देह पर हाथ रखे खड़ी रही। जब संस्कार किया जाने लगा तो वह रोते हुए कहती रही कि प्लीज, एक बार उसकी शक्ल दिखा दो। हालांकि अफसरों ने मजबूरी की बात कह नहीं दिखाई।
4 अप्रैल को अंतिम संस्कार के दौरान मंगेतर सानिया एयरफोर्स के अधिकारियों को एक बार शक्ल दिखाने की गुजारिश करती रही।
सेना में परिवार की चौथी पीढ़ी थे सिद्धार्थ शहीद के ममेरे भाई सचिन यादव ने बताया सिद्धार्थ परिवार की चौथी पीढ़ी से थे, जो एयरफोर्स में थे। इससे पहले उनके पड़दादा डालूराम बंगाल इंजीनियर्स में कार्यरत थे, जो ब्रिटिश शासन के अंडर आता था। सिद्धार्थ के दादा रघुवीर पैरामिलिट्री फोर्स में थे। इसके बाद इनके पिता भी एयरफोर्स में रहे। वर्तमान में वह LIC में कार्यरत हैं।
गुजरात के जामनगर में फाइटर जेट जगुआर का टूटा पिछला हिस्सा। जेट के क्रैश होने के बाद कई टुकड़े हो गए थे। सिद्धार्थ इसी में पायलट थे, क्रैश के बाद वह शहीद हो गए।
एयरफोर्स ने कहा- सिद्धार्थ ने सूझबूझ-बहादुरी दिखाई बता दें कि 2 अप्रैल की रात करीब 9:30 बजे जामनगर शहर से 12 किमी दूर सुवारडा गांव के पास जगुआर क्रैश हो गया था। विमान जमीन से टकराया और उसमें आग लग गई। जिससे मलबा दूर तक फैल गया। वायुसेना के अनुसार, यह जगुआर फाइटर जेट जामनगर एयरफील्ड से नाइट मिशन पर रवाना हुआ था।
उड़ान के दौरान पायलट्स ने तकनीकी खराबी महसूस की। जिसके बाद पायलट्स ने इजेक्शन की प्रक्रिया शुरू की। साथ ही तय किया कि प्लेन से आबादी वाले इलाके को नुकसान न पहुंचे। इस दौरान एक पायलट शहीद हो गए, जबकि को-पायलट का इलाज चल रहा है। इसमें सिद्धार्थ ने को-पायलट मनोज को पहले इजेक्ट कर दिया था। फिर विमान को आबादी से दूर ले गए। जिस दौरान यह हादसा हुआ।
सिद्धार्थ की शहादत पर माता-पिता, मंगेतर ने क्या कहा…
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