अब तक 95 पर FIR दर्ज करने के निर्देश। (प्रतीकात्कम फोटो। )
आरटीई के तहत गलत आय दिखाकर फर्जी प्रवेश दिलाने वाले अभिभावकों के खिलाफ जिला अधिकारी कार्यालय में सुनवाई चल रही है। बुधवार को 32 और मामलों की सुनवाई हुई। जिसमें खुलासा हुआ कि एक अभिभावक ने 1 करोड़ का लोन लिया था। शहर में आरटीई में प्रवेश के लिए कम आय
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लोन के नाम पर बनवा लिए डॉक्यूमेंट्स लोन लेकर इन अभिभावकों में से अग्रवाल विद्या विहार स्कूल के एक अभिभावक ने 54 अलग-अलग बार में 1.07 करोड़ का लोन लिया था। तो एक अभिभावक पर 40 लाख का कर्ज था और दूसरे अभिभावकों ने फॉर्म भरते समय दिखाया कि उनके पास पैन कार्ड नहीं है। बुधवार को 32 मामलों में से 27 में एफआईआर दर्ज करने की शिकायतें पुलिस को दी गईं। बाकी 5 अभिभावकों को इसलिए राहत दे दी गई, क्योंकि वे आरटीई क्राइटेरिया में फिट बैठते थे और किसी नियम उल्लंघन नहीं किया था।
32 में से 27 अभिभावकों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश लिया था।
250 से अधिक मामलों की सुनवाई की जाएगी इस बीच, अब तक 100 में से 95 मामलों में पुलिस शिकायत का फैसला किया जा चुका है, जबकि आने वाले दिनों में 250 से अधिक मामलों की सुनवाई की जाएगी। फर्जी प्रवेश के पीछे छुपे सच का पर्दाफाश अभिभावकों के सिबिल स्कोर से हुआ। जांच में पाया गया कि जिन अभिभावकों ने आरटीई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर होने का दावा किया था, उनके पास बैंक खातों में बड़े लेनदेन और उच्च क्रेडिट स्कोर जैसी गतिविधियां पाई गईं। इस प्रकरण से आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं। प्रशासन ने अब दस्तावेजों की जांच के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने की योजना बनाई है।
ऐसे की गई जांच प्रक्रिया और कार्रवाई शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सख्ती से जांच शुरू की थी। जांच के दौरान फर्जी आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और दस्तावेजों में गड़बड़ियां पाई गई। 32 में से 27 अभिभावकों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश लिया था।
आरटीई के तहत फर्जी प्रवेश दिलाने वाले अभिभावकों की आय देखकर तो मैं भी हैरान हूं। सिबिल स्कोर से पता चला कि जिन्होंने करोड़ों का लोन ले रखा है और जो लाखों का लेन-देन कर रहे हैं उन्होंने भी प्रवेश ले लिया। वे ऐसे गरीबों का हक मारेंगे तो ऐसे बच्चे कहा जाएंगे। -भगीरथ सिंह परमार, डीईओ, सूरत