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रूह अफ़ज़ा भारतीय है या पाकिस्तानी? जानिए कल्ट समर ड्रिंक का सफर, इसका इतिहास और इसे कैसे बनाया जाता है

रूह अफज़ा भारत में जलपान के लिए सबसे लोकप्रिय ड्रिंक में से एक है। बहुत से लोगों के पास रूह अफज़ा और उसके गुलाबी स्वाद से जुड़ी गर्मियों की बचपन की यादें हैं। इस ड्रिंक की कहानी भारत को आजादी मिलने से पहले शुरू हुई थी। रूह अफज़ा, जो अब 116 साल का है, 1907 में यूनानी चिकित्सा के विशेषज्ञ हकीम अब्दुल मजीद द्वारा शुरू किया गया था। उन्होंने पुरानी दिल्ली में अपने चिकित्सा कक्ष में एक विशेष ड्रिंक तैयार किया और इसे रूह अफज़ा नाम दिया, जैसा कि अब जाना जाता है।

रूह अफज़ा के लिए प्रेरणा चिलचिलाती गर्मी से मिली क्योंकि हकीम अब्दुल मजीद ने एक शरबत तैयार किया जो लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाता है।

कैसे बना था रूह अफजा?

हकीम अब्दुल मजीद यूनानी दवाओं के विशेषज्ञ थे और जब रूह अफजा बनाया गया तो वह लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए ड्रिंक तैयार कर रहे थे। उसने कई ग्रीक और देसी चीजों से ड्रिंक तैयार किया। रूह अफजा को बनाने में कई यूनानी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया था। इसे बनाने में चिक्सर, अंगूर, संतरा, तरबूज, गुलाब और केवड़ा समेत कई चीजों का इस्तेमाल किया गया।

शुरूआती दौर में रूह अफजा डिस्पेंसरी में मिलता था और लोग उसे बर्तनों में जाकर खरीदते थे। रूह अफ़ज़ा का लोगो 1910 में डिज़ाइन किया गया था। हकीम अब्दुल मजीद की मृत्यु के बाद, उनके बेटों अब्दुल हमीन और मोहम्मद सईद ने कंपनी की कमान संभाली।

रूह अफजा के सफर में भारत का बंटवारा और पाकिस्तान का बनना भी अहम भूमिका निभाता है। जबकि हकीम अब्दुल मजीद के बड़े बेटे ने भारत में रहने का फैसला किया, उसका छोटा भाई मोहम्मद सईद पाकिस्तान चला गया। रूह अफज़ा की एक और फ़ैक्टरी शुरू करने के लिए उन्होंने कराची में दो कमरे किराए पर लेकर इसका उत्पादन शुरू किया। हालांकि सबसे ज्यादा लोकप्रियता भारत में तैयार हुए रूह अफजा को मिली। 

रूह अफजा की बोतल को जर्मनी में डिजाइन किया गया था। पहले इसे कांच की बोतल में पेश किया जाता था, बाद में इसे बदलकर प्लास्टिक कर दिया गया।

रूह अफज़ा का सफर भारत में शुरू हुआ और यहीं चलता रहा, लेकिन एक साल ऐसा भी आया जब कच्चे माल के आयात में रुकावट के कारण कंपनी का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। 2019 में भारत में इसका स्टॉक घट गया।

स्टार्टअप स्काई की रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, लेकिन रूह अफजा की बोतलें पाकिस्तान से आती हैं और ड्रिंक की पूरी तैयारी भारत में की जाती है। इस तरह से देखा जाए तो यह एक भारतीय पेय है।

रूह अफजा ने धीरे-धीरे कई उत्पाद बाजार में उतारे। इसमें साफी, पचनौल और रोगन बादाम शिरीन जैसे उत्पाद शामिल थे। इसकी पहली फैक्ट्री 1940 में पुरानी दिल्ली में लगी थी। फिर 1971 में गाजियाबाद में उत्पादन शुरू हुआ और 2014 में मानेसर, गुरुग्राम में एक नया संयंत्र स्थापित किया गया।

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