फरीदाबाद, 27 अगस्त। एमएसएमई सैक्टर को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, जिसका कारण इस क्षेत्र द्वारा निर्यात, जीडीपी व रोजगार में दिया जा रहा योगदान है। वर्तमान में एमएसएमई सैक्टर के समक्ष कई चुनौतियां आ रही हैं, जिनका सामना करते हुए इस सैक्टर को अपने उत्पादन के लक्ष्य को बनाए रखने के साथ-साथ उत्पाद की गुणवत्ता को भी बनाए रखना है। आईएमएसएमई ऑफ इंडिया और ग्रीन ट्री के सहयोग से चलाए जा रहे कैपेसिटी बिल्डिंग ट्रेंनिग प्रोग्राम को संबोधित करते हुए आई एम एसएमई ऑफ इंडिया के कार्यकारी निर्देशक परमिंदर सिंह ने कहा कि एमएसएमई सैक्टर इस प्रक्रिया में ऊर्जा की खपत एवं उत्सर्जन की समझ को खो देते हैं, जिसका परिणाम यह है कि भारतीय एमएसएमई सैक्टर अधिकतर सरल उर्जा का उपाय करने में असफल है।
उन्होंने कहा कि एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट की बात सरकार भी करती है परन्तु उसमें लगाने वाले खर्चों जैसे की पर्याप्त ऋण की अनुपलब्धता और ऊर्जा बचत परियोजना के लिए आवश्यक वित्त प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयां के बारे में कोई बात नहीं करता। इसमें सुधार लाने के लिए सरकार को एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट को लगाने की छूट देनी चाहिए और कुछ नई स्कीम को भी लाना चाहिए । इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में आए वरिष्ट प्रवक्ता डॉ. सी. एस. आज़ाद ने एनर्जी एफिशिएंसी के क्षेत्र में एमएसएमई के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ऊर्जा के उपयोग को कम करना आवश्यक है, क्योंकि प्रारंभि क बिजली संयंत्र जीवाश्म ईंधन जलाते है जो ग्रीन गैस छोड़ते है और वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। बैंक समूह से आए हुए अतिथि एल एम डी केनरा बैंक सुधीर कुमार और डी जी एम , एस आई डी बी आई सतीश नेमा ने बैंक द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली सुविधाओं के बारे में अवगत कराया । इस प्रोग्राम में एनर्जी एफिशियंसी ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंज इन एमएसएमई , क्लस्टर प्रोफाइल, केस स्टडी, फाइनेंसिंग ऑफ एनर्जी एफीशिएंसी,एवं प्रश्रोत्तरी इत्यादि के साथ बिजनेस टू बिजनेस एफीशिएंसी पर विशेष रूप से जानकारी दी गई।
