उत्तराखंड में स्थित जागेश्वर धाम सावन के महीने में श्रद्धालुओं से भरा रहता है। इस स्थान को उत्तराखंड का पांचवां धाम भी बोला जाता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित जागेश्वर धाम मंदिर वास्तव में कई आश्चर्यों से भरपूर है। जानें इससे जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में।
जागेश्वर धाम, उत्तराखंड के जंगल के ऊंचे इलाकों में जागेश्वर या नागेश के रूप में शिव का निवास है। यहां का पूरा शहर शिव मंदिरों को समर्पित है। यहां के ऊंचे -ऊंचे देवदार के पेड़ देखने में वास्तव में खूबसूरत लगते हैं साथ ही गहरे हरे रंग की पोषक पहने नज़र आते हैं। उत्तराखंड में स्थित जागेश्वर धाम एक एक ऐसा धाम भी है जिसका नाम तो प्रसिद्ध है लेकिन इसका रहस्य कोई भी नहीं जानता है। भगवान शिव का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है। उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर का पौराणिक कथाओं में भी उल्लेख किया गया है जिसका वर्णन शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है।
हर तरफ से देवदार के जंगल से घिरा यह 100 मंदिरों का एक समूह है जो अल्मोड़ा के बहुत करीब है।इस स्थान को जागेश्वर घाटी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, वे 7 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच हैं। यहाँ के कुछ मंदिर 1400 साल पुराने हैं। इस क्षेत्र में कई नए मंदिरों का भी विकास हुआ है, जो कुल 200 की संख्या के करीब हैं। मंदिर 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं, और जाटगंगा नदी की घाटी में स्थित हैं।
यहां पूजा करने वाले मुख्य देवता शिव, विष्णु, शक्ति और सूर्य हैं। जागेश्वर के कुछ सबसे प्रमुख मंदिर हैं दंडेश्वर मंदिर, चंडी-का-मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नंदा देवी या नौ दुर्गा, नवग्रह मंदिर और सूर्य मंदिर। यदि आप शांति के साथ भक्ति की तलाश में हैं तो इस स्थान की यात्रा कभी न कभी जरूर करें। ये स्थान वास्तव में अपनी खूबियों की वजह से आपको आश्चर्य में डाल देगा।