नई दिल्ली . भारत सरकार की नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन द्वारा बुलाए गए 2 दिन के भारत बंद का आज दूसरा दिन है. पहले दिन इसका असर भारत के कई राज्यों में आंशिक रूप से देखने को मिला. हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल व तमिलनाडु में सार्वजनिक परिवहन और बैंकिंग सेवाएं काफी प्रभावित हुई. दूसरे दिन भी इसका असर देखे जाने का अनुमान है.
हड़ताल के पहले दिन सरकारी बसों के सड़कों से दूर रहने के कारण आम नागरिकों को खासी मशक्कत करनी पड़. दिल्ली से सटे हरियाणा व पंजाब में परिवहन और बैंक सेवाओं पर खासा प्रभाव देखने को मिला और लोगों के काम अटके रहे. हड़ताल के दूसरे दिन भी सार्वजनिक कामकाज के ठप रहने का अनुमान है.
हड़ताल में कौन-कौन शामिल
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अलावा, स्वतंत्र क्षेत्रीय संघ और श्रमिक संघ भी विरोध का हिस्सा हैं। ट्रेड यूनियनों ने कहा कि मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कोयला खनन क्षेत्रों के श्रमिकों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अनुसार, उन्हें बैंकिंग परिवहन, कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक व आयकर विभाग के कर्मचारियों का सहयोग प्राप्त है. गौरतलब है कि एसबीआई के कर्मचारी संघ ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है.
हरियाणा में सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रभावित
बंद के कारण हरियाणा में करीब 3,000 बसें सड़कों से नदारद रहीं जिससे छात्रों समेत अन्य लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. हरियाणा परिवहन संघ के कर्मचारी नौकरी पक्की करने व पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग के साथ हड़ताल में शामिल हुए हैं. सोमवार को राज्य में बैंकिंग सेवाएं भी खासी प्रभावित रहीं. पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के नेतृत्व में प्रदर्शन का मिला-जुला असर देखने को मिला. वहीं, केरल में सोमवार को सड़कों पर कम चहल-पहल दिखी. ओडिशा व कर्नाटक में कुछ ऐसा ही नज़ारा दिखा और सार्वजनिक परिवहन के बंद होने से लोगों को यात्रा करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.
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क्यों बुलाया गया है बंद
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार कर्मचारियों के विरोध में नीतियां बना रही है. सरकार ने हाल ही में पीएफ पर मिलने वाले ब्याज को 8.5% से घटाकर 8.1% कर दिया है. इसके अलावा ईंधन के बढ़ते दामों ने व्यापारियों व आम आदमी की कमर तोड़ दी है. गौरतलब है कि पिछले सात दिन में आज छठी बार पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि की गई है. बैंक यूनियन बैंकों के निजीकरण को लेकर आक्रोशित हैं और मुख्यत: इसी कारण से हड़ताल में शामिल हुई हैं.