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प्रतिबंध झेल रहे रूस से भारत खरीदेगा सस्ता तेल, इससे कितनी घटेगी पेट्रोल-डीजल की कीमत, जानिए सब कुछ

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से लगातार क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्धि हो रही है। इसका असर भारत पर भी पड़ा है। माना जा रहा है कि जल्द ही कीमतें नहीं घटीं तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस ने भारत को कम कीमतों पर क्रूड ऑयल देने का प्रस्ताव दिया है। भारत भी इस डील को लेकर काफी सीरियस है। माना जा रहा है रूस से सस्ता क्रूड ऑयल आने से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम और कम हो सकेंगे। साथ ही इससे इकोनॉमी को भी राहत का बूस्टर डोज मिलेगा।

किन देशों से भारत अभी तेल का इंपोर्ट करता है?
ओपेक क्रूड ऑयल उत्पादक देशों का एक संगठन है। दुनिया भर में बेचे जाने वाले क्रूड ऑयल का 60% उत्पादन यहीं होता है।
रूस ओपेक देशों में शामिल नहीं है, लेकिन साल 2017 के बाद से यह ओपेक के साथ तेल उत्पादन की सीमा तय करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि क्रूड ऑयल के दाम बेतहाशा नहीं बढ़ें।
देखा जाए तो दुनिया के क्रूड ऑयल का 12% उत्पादन रूस में, 12% सऊदी अरब में और 16-18% उत्पादन अमेरिका में होता है।
भारत अपनी जरूरत का 85% क्रूड ऑयल इंपोर्ट करता है। इसमें से 60% खाड़ी देशों से लेता है। वहीं क्रूड ऑयल इंपोर्ट करने के लिए भारत सऊदी अरब और अमेरिका पर ज्यादा निर्भर है।
भारत इसके अलावा इराक, ईरान, ओमान, कुवैत और रूस से भी तेल लेता है और कुछ स्पॉट मार्केट यानी खुले बाजार से भी खरीदता है।

रूस से भारत कितना तेल इंपोर्ट करता है?
रूस से भारत अभी महज 2% क्रूड ऑयल ही इंपोर्ट यानी आयात करता है। साथ ही रूस से सालाना 3 अरब डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों का इंपोर्ट करता है। भविष्य में इसके बढ़ने की पूरी संभावना है।
वहीं भारत क्रूड ऑयल और अन्य वस्तुओं को रूस से रियायती कीमतों पर लेने पर विचार कर रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत, रूस से और क्रूड ऑयल की खरीद कर सकता है।
इसका जवाब हैं हां, क्योंकि अमेरिका ने भी हाल में कहा है कि यदि भारत रूस से क्रूड ऑयल लेता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही इससे किसी प्रतिबंध का भी उल्लंघन नहीं होता है।
इसी बीच कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल ने भी रूस से सस्ती कीमतों पर 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खरीद की है। बताया जा रहा है कि एक ट्रेडर के माध्यम से यह सौदा 20 से 25 डॉलर की छूट पर हुआ है।

रूस से तेल खरीदने में मुश्किल क्या है?
रूस दुनिया भर में तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वहीं पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर सऊदी अरब है।
इसके साथ ही रूस हर दिन 10.7 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है। इसमें से आधी से ज्यादा मात्रा यूरोप जाती है।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यूरोप की तेल और गैस की जरूरतें रूस पूरा करता है तो भारत का सबसे अहम साथी होने के बाद भी रूस से सिर्फ 2% ही तेल खरीदता है।
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा बताते हैं कि इसका जवाब रूस के भूगोल में छिपा है। रूस के वह क्षेत्र जहां कूड ऑयल का उत्पादन होता है वे ईस्टर्न इलाके से थोड़ा दूर हैं। इसके साथ ही नॉर्थ वाले इलाके आर्कटिक क्षेत्र के पास हैं। ऐसे में यहां ज्यादातर समय बर्फ जमी रहती है जिससे तेल लाने में दिक्कत होती है।
वहीं तीसरा रास्ता है ब्लैक सी का जो इस समय यूक्रेन पर रूस के हमले से बंद पड़ा हुआ है।
नरेंद्र तनेजा बताते हैं कि क्रूड खरीदने से पहले कई पहलुओं का भी ध्यान रखना पड़ता है। जैसे जब हम क्रूड ऑयल मंगाते हैं तो उसे रिफाइन करते हैं। हर जगह का क्रूड ऑयल थोड़ा-थोड़ा अलग होता है। इसके बाद ये देखा जाता है कि इस क्रूड को कहां रिफाइन किया जा सकता है। इसलिए किसी भी देश से तेल खरीदने के दौरान ये पैमाना भी देखा जाता है।
वहीं रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रॉसनेफ की गुजरात के जामनगर में अपनी रिफाइनरी है। रॉसनेफ भी मात्र 2% तेल ही मंगाती है। देखा जाए रूस से भारत इसलिए सिर्फ 2% तेल लेता है, क्योंकि बाकी जगह से इसे लाना ज्यादा आसान है।
जैसे खाड़ी देशों से भारत 60% क्रूड ऑयल लेता है। साथ ही समुद्री जहाज से यह तेल सिर्फ 3 दिन के अंदर भारत पहुंच जाता है। इससे किराया भी कम लगता है। वहीं रूस के साथ रूट को लेकर समस्या है, जिसकी बात हम ऊपर कर चुके हैं।
रूस पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का असर भी वहां तेल को लाने पर पड़ेगा। इससे आने वाले समय में टैंकर मिलने मुश्किल होंगे, क्योंकि जब टैंकर में करोड़ों रुपए का तेल लाया जाता है तो उसका इंश्योरेंस भी कराना होता है। इन टैंकरों का इंश्योरेंस करने वाली कंपनियां पश्चिमी देशों की हैं। ऐसे में जब प्रतिबंध लगा होने पर वे टैंकर का इंश्योरेंस नहीं करेंगी। ऐसे में जब रूस सस्ते में तेल देने की बात कर रहा तो यह देखना भी जरूरी है कि ये कितना व्यवहारिक होगा।
वहीं पिछले 10 वर्षों में भारत ने क्रूड ऑयल के इंपोर्ट में एक देश पर निर्भरता को खत्म करने के लिए कई और देशों से क्रूड खरीदना शुरू किया है। इसमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं।
रूस में भारत ने तेल और नैचुरल गैस के क्षेत्र में 16 अरब डॉलर का निवेश किया है, लेकिन वो तेल भारत नहीं खरीदता, दूसरे देशों को बेच देता है।
क्या अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई तोड़ है?

रूस से तेल खरीदने पर केवल अमेरिका में प्रतिबंध लगे हैं। भारत फिलहाल रूस से तेल खरीद तो सकता है, लेकिन पेमेंट में परेशानी आ सकती है। कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि भारत और रूस, रुपए और रूबल में कारोबार के बजाए बार्टर सिस्टम की तर्ज पर कारोबार कर सकते हैं, जैसे ईरान पर प्

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