शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव के अंतिम संस्कार के मौके पर एक बार शहीद का चेहरा दिखाने की मांग करती मंगेतर और सलामी देती एयरफोर्स की टुकड़ी।
हरियाणा में रेवाड़ी के शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को शुक्रवार (4 अप्रैल) राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। पैतृक गांव भालखी माजरा में उनके पिता सुशील यादव ने 28 साल के शहीद बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट 2 अप्रैल को जा
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सिद्धार्थ की 10 दिन पहले ही सगाई हुई थी। अंतिम संस्कार के मौके पर उनकी मंगेतर भी श्मशान घाट में पहुंची। इस दौरान वह पार्थिव देह को देख रोती रहीं। इस दौरान वह बार-बार रोते हुए कहतीं रही कि प्लीज एक बार मुझे उसकी शक्ल दिखा दो। मंगेतर सानिया ने कहा कि मुझसे सिद्धार्थ पर गर्व है।
इस दौरान शहीद की मां और बहन खुशी भी रोती रहीं। इस मौके मां ने कहा- मुझे अपने बेटे पर गर्व है। मुझे उसकी मां होने पर गर्व है। अंतिम विदाई के दौरान एयरफोर्स की टुकड़ी ने हथियार उल्टे कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इससे पहले सुबह 9 बजे उनकी पार्थिव देह रेवाड़ी पहुंची थी। इसके बाद अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव देह को रेवाड़ी के सेक्टर 18 में नए बनाए घर में रखा गया। जहां से काफिले की शक्ल में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई।
शहीद की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में युवा बाइक लेकर शामिल हुए।
शहीद एयरफोर्स पायलट सिद्धार्थ से जुड़ी 4 अहम बातें…
1. NDA में 9 साल पहले हुआ था चयन: सिद्धार्थ ने 2016 में NDA की परीक्षा पास की थी। इसके बाद 3 साल का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने बतौर फाइटर पायलट वायुसेना जॉइन की थी। उन्हें 2 साल बाद प्रोमोशन मिला था, जिससे वह फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए थे।सगाई करके लौटे, 2 नवंबर को शादी थी: 23 मार्च को ही सिद्धार्थ की सगाई हुई थी। इसके बाद पूरा परिवार सिद्धार्थ की शादी का इंतजार कर रहा था। 2 नवंबर को उनकी शादी तय हुई थी, लेकिन 2 अप्रैल की रात अनहोनी की सूचना आई और परिवार सहित पूरा रेवाड़ी गम में डूब गया।
पायलट सिद्धार्थ यादव की 2 नवंबर को शादी होने वाली थी।
पिता ने बेटे की शादी के लिए नया घर बनाया था: शहीद सिद्धार्थ यादव के पिता सुशील यादव मूल रूप से रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से रेवाड़ी में ही रह रहे हैं। बेटे की शादी के लिए ही उन्होंने सेक्टर-18 में घर बनाया था। इसी घर पर बेटे की शादी होनी थी। सिद्धार्थ बड़े बेटे थे। उनकी एक छोटी बहन हैं।4 पीढ़ी से परिवार सेना में: शहीद के ममेरे भाई सचिन यादव ने बताया है कि सिद्धार्थ के परदादा बंगाल इंजीनियर्स में कार्यरत थे, जो ब्रिटिशर्स के अंडर आता था। सिद्धार्थ के दादा पैरामिलिट्री फोर्स में थे। इसके बाद इनके पिता भी एयरफोर्स में रहे। वर्तमान में वह LIC में कार्यरत हैं। सिद्धार्थ चौथी पीढ़ी थी, जो सेना में सेवाएं दे रही थीं।गुजरात में जगुआर क्रैश में शहीद हुए: गुजरात के जामनगर में 2 अप्रैल को भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश में फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए थे। जगुआर में कुछ तकनीकी खराबी आई। जब यह तय हुआ कि जगुआर क्रैश होना तय है तो सिद्धार्थ ने अपने साथी मनोज कुमार को इजेक्ट कराया और विमान कहीं घनी आबादी में न गिरे, इसके लिए प्रयास शुरू किया। वह विमान को खाली जगह में ले गए और वीरगति को प्राप्त हुए।
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