सूरत के शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट में बीते सोमवार (24 फरवरी) लगी आग से 48 घंटे से भी कम समय में करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्ति जलकर खाक हो गई। एक व्यक्ति की जान चली गई। व्यापारी बर्बाद हो गए हैं और रो रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि ऐसी स्थिति पैदा हो
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सूरत के शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट में लगी आग बुझा दी गई है। लेकिन दिव्य भास्कर ने इस त्रासदी से उपजे कई सवालों के जवाब तलाशने के लिए लगातार तीन दिनों तक पड़ताल की। इस जांच में जो साक्ष्य सामने आए, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। क्योंकि शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट की ओर से एक ऐसे व्यक्ति ने फायर एनओसी के लिए आवेदन किया था, जो न तो वहां व्यापारी है, न ही वहां का प्रबंधक या मालिक। वहीं, फायर एनओसी जारी करने वाला ऑफिसर इसी आवेदक का बिजनेस पार्टनर भी है।
दो दिनों तक सुलगता रहा था शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट।
यदि आप गुजरात में किसी इमारत के लिए पहली फायर एनओसी प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह अनुमति फायर ब्रिगेड द्वारा दी जाती है। लेकिन यदि एनओसी का नवीनीकरण कराना हो तो यह अधिकार एफएसओ (फायर सेफ्टी ऑफिसर) के पास है। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भले ही नाम में ‘अधिकारी’ शब्द आता है, लेकिन एफएसओ सरकार द्वारा नियोजित कोई कर्मचारी या अधिकारी नहीं है। सरकार उन्हें वेतन भी नहीं देती। एफएसओ एक प्रकार का आउटसोर्सिंग कार्य करता है। यदि एफएसओ सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए पत्र जारी करता है, तो उसे फायर एनओसी माना जाता है।
भवन का मालिक, प्रबंधक या ट्रस्ट एनओसी की समीक्षा के लिए एफएसओ को शुल्क का भुगतान करता है। पहले भुगतान की जाने वाली फीस की राशि भी स्पष्ट नहीं थी। हालांकि, 14 अगस्त 2024 को राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी किया, जिसमें निर्धारित किया गया कि एफएसओ कितना शुल्क ले सकता है। यानी कि शिवशक्ति टेक्सटाइल्स को मात्र 15 हजार रुपए खर्च करके फायर एनओसी मिल गई थी।
दो दिन में 90 लाख लीटर पानी डालकर बुझाई गई आग।
दिव्य भास्कर को शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट, जहां आग लगी थी, की नवीनीकृत फायर एनओसी की प्रति और इसे जारी करने वाले फायर सेफ्टी अधिकारी निकुंज पडसाला की जानकारी भी मिली। एफएसओ निकुंज पडसाला ने 3 मार्च 2024 को फायर एनओसी का नवीनीकरण किया था। यहां चौंकाने वाली बात यह भी है कि फायर एनओसी प्रमाणपत्र का नवीनीकरण जिसके नाम पर किया गया, वह नाम है दिव्येश ढोला। जबकि दिव्येश ढोला इस इमारत में न तो व्यापारी है, न ही वहां का प्रबंधक या मालिक।
फायर एनओसी जारी करने वाला फायर सेफ्टी अधिकारी निकुंज पडसाला।
एफएसओ निकुंज पडसाला का कार्य भी आंखें खोलने वाला है। सरकार ने लगभग 14 महीने पहले 13 दिसंबर 2023 को एफएसओ के लिए राजपत्र जारी किया था। जबकि इससे पहले निकुंज 333 भवनों की एनओसी का नवीनीकरण कर चुका है। एफएसओ की सूचना वेबसाइट पर अपलोड की गई डिटेल में इमारत का एक भी निरीक्षण या मॉक ड्रिल करने का जिक्र नहीं है। नियमों के अनुसार, एफएसओ को उन भवनों में हर छह महीने में एक बार मॉक ड्रिल करनी होती है, जिनके फायर एनओसी का नवीनीकरण हो चुका है।
आइए दिव्येश ढोला की एक नहीं बल्कि तीन पहचान बताते हैं। बात यह है कि 19 फरवरी 2024 को दिव्येश ढोला ने स्वयं शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट एसोसिएशन के लिए फायर एनओसी के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था।
इमारत की फायर एनओसी अपने नाम पर लेने वाला दिव्येश ढोला।
दिव्येश ढोला की दूसरी भूमिका भी दिलचस्प है। हमारी जांच से पता चला कि दिव्येश ढोला, निकुंज पडसला और तेजस तेजानी तीन लोग मिलकर सूरत में सेफ केयर एंटरप्राइजेज नाम की एक फर्म चलाते हैं। जिसके प्रबंध निदेशक दिव्येश ढोला हैं। इससे साफ है कि शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट के लिए फायर एनओसी के नवीनीकरण में बैठे-बैठे पूरा खेल हो गया। एक साझेदार ने आवेदन किया और दूसरे ने फायर एनओसी दे दी।
हमें यह भी जानकारी मिली है कि दिव्येश ढोला सूरत नगर निगम में अग्नि सुरक्षा सलाहकार हैं। उनका एसएमसी फायर रजिस्ट्रेशन नंबर भी प्राप्त कर लिया गया है। जिसमें उनकी फर्म सेफ केयर एंटरप्राइजेज को 25 मीटर तक की इमारतों के लिए फायर एनओसी को नवीनीकृत करने का अधिकार है। सूरत नगर निगम की वेबसाइट पर दी गई इस जानकारी में दिव्येश ढोला और उनके साथी तेजस तेजानी के मोबाइल नंबर भी शामिल हैं।
सरिए मुड़ने से छत बैंड हुई। पूरी इमारत का स्ट्रक्चर बर्बाद हो गया है।
इस बारे में दिव्येश ने क्या स्पष्टीकरण दिया? दिव्य भास्कर ने दिव्येश ढोला से शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट को मिली एनओसी में उनका नाम होने के बारे में पूछा। तो उन्होंने कहा- मैं वहां कोई व्यवसायी नहीं, बल्कि एक फायर कन्सलटेंट हूं। जब फायर सेफ्टी को लेकर राज्य सरकार ने नया सिस्टम शुरू किया तो लोगों को इसके बारे में पता नहीं था कि आवेदन कैसे करें। इसलिए मैंने अपने पहचान पत्र का उपयोग करके फायर एनओसी के लिए आवेदन किया। दिव्येश भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि जबकि ऐसा आवेदन संपत्ति के मालिक द्वारा ही किया जाना चाहिए।
आग से व्यापारियों को करीब 850 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
नगर निगम में फायर कन्सलटेंट हैं दिव्येश दिव्येश ने यह भी माना कि वह सूरत नगर निगम में फायर कन्सलटेंट है। उन्होंने कहा- मेरा काम फायर सिस्टम इन्स्टॉलेशन का है। मुझे वेतन भी नहीं मिलता और मेरे पास कोई अधिकार भी नहीं है। मैं बस कन्सलटेंट का काम करता हूं। कोई भी व्यक्ति जिसके पास बीई. सिविल, बीई मैकेनिकल की डिग्री हो, या जिसने फायर कोर्स पूरा कर लिया हो। वह कन्सलटेंट बन सकता है। मैं फायर सिस्टम इन्स्टॉलेशन से लेकर अग्निशमन एनओसी प्राप्त करने तक का काम एक ठेकेदार की तरह करता हूं।
इसका मतलब यह है कि दिव्येश ने ऑनलाइन आवेदन में अपने ही साथी निकुंज पडसाला का नाम एफएसओ के रूप में चुना था। इतना ही नहीं फायर एनओसी मिलने के बाद दिव्येश ने अपने ही पार्टनर निकुंज को 5 स्टार रेटिंग दी। तो सवाल यह उठता है कि क्या कोई तीसरा पक्ष किसी अन्य के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा प्रशासित संपत्ति के लिए आवेदक बन सकता है?
शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट के प्रबंधन और व्यापारियों ने फायर एनओसी के नवीनीकरण के मामले को शायद हल्के में लिया है। दिव्य भास्कर ने इस स्थिति को समझने के लिए दिव्येश ढोला के पार्टनर और एफएसओ निकुंज पडसला से बात की। निकुंज ने खुद स्वीकार किया कि पिछले साल शिवशक्ति टेक्सटाइल्स के लिए फायर एनओसी का नवीनीकरण उन्होंने ही किया था।
मार्केट इमारत इतनी संकरी जगह पर कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियां अंदर नहीं घुस पाईं।
निरीक्षण, मॉक ड्रिल, ट्रेनिंग एक ही दिन में हो जाती है एफएसओ के कामकाज के बारे में बताते हुए निकुंज पडसाला ने कहा- सबसे पहले हमें ऑनलाइन आवेदन करना होता है। फिर हमें साइट पर जाना होगा। हमें एक लॉग-इन आईडी दी गई है। जिसके माध्यम से मेरे द्वारा ली गई तस्वीरें लोकेशन के साथ सिस्टम पर अपलोड हो जाती हैं। एक इमारत की लगभग 40 तस्वीरें होती हैं। इसके बाद मॉक ड्रिल भी करनी होती है। इसमें अग्नि सुरक्षा उपकरणों की जांच की जाती है। प्रत्येक इमारत के लोगों को अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
निकुंज ने स्थानीय लोगों को स्थिति से अवगत कराते हुए कहा, हम कर्मचारियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। हम उनसे ट्रेनिंग लेने का भी अनुरोध करते हैं। लेकिन लोग गंभीर नहीं हैं। मैंने एनओसी में भी इसका उल्लेख किया है। अग्नि एनओसी नवीनीकरण प्रक्रिया आमतौर पर एक दिन के भीतर पूरी हो जाती है।
मार्केट में पर्याप्त रास्ता न होने के बावजूद इसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया गया था।
इमारत में मॉक ड्रिल की थी: निकुंज निकुंज पडसला ने जवाब दिया- हमारा काम केवल एनओसी का नवीनीकरण करना है। आपको बस यह जांचना है कि सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं। हमें किसी को नोटिस देने का भी अधिकार नहीं है। यदि किसी के पास एनओसी नहीं है तो हम उसे एनओसी लेने के लिए बाध्य भी नहीं कर सकते।
नियमों के अनुसार, प्रत्येक भवन को हर छह महीने में एफएसओ निरीक्षण और मॉक ड्रिल से गुजरना होता है। निकुंज ने यह भी दावा किया कि उन्होंने पिछले 6 महीनों में शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट में मॉक ड्रिल की थी और उनके पास इसका सबूत भी है। उन्होंने कहा- जब प्रशासन मुझे बुलाएगा तो मैं अपनी रिपोर्ट दे दूंगा। हालांकि, वह हमें मॉक ड्रिल के सबूत देने के लिए सहमत नहीं हुए।
मई 2019 में सूरत के तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में आग से 22 लोगों की मौत हो गई थी।
तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में लगी आग में 22 की मौत हुई थी मई 2019 में सूरत के तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में आग लग गई थी, जिसमें 22 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। इस त्रासदी को अभी बमुश्किल साढ़े छह साल ही हुए हैं। इस बीच, सूरत में अग्निशमन विभाग के दफ्तरों में अभी भी कई कुर्सियां खाली हैं। इसका मतलब यह है कि सिस्टम आग के प्रति गंभीर नहीं है।
तक्षशिला कॉम्प्लेक्स मामले में कुल 13 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया। इसमें कोचिंग क्लास प्रशासक, भवन मालिक और सूरत नगर निगम के अधिकारियों के नाम शामिल थे। इसमें भी जांच अधिकारियों को अग्निशमन विभाग के उप मुख्य अग्निशमन अधिकारी संजय आचार्य और अग्निशमन अधिकारी कीर्ति मोध की संलिप्तता का संदेह है।
तक्षशिला में आग लगने से पांच महीने पहले नगर निगम के आला अधिकारियों ने निर्देश दिए थे कि जहां भी कोचिंग क्लास चल रही हैं, वहां अग्नि सुरक्षा उपकरणों की जांच की जाए और ऐसा न होने पर नोटिस जारी किया जाए। हालांकि, कीर्ति मोध और संजय आचार्य ने जांच नहीं की और नोटिस जारी करने की भी जहमत नहीं उठाई। इस गंभीर लापरवाही के कारण तक्षशिला दुर्घटना के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
शिवशक्ति टेक्सटाइल्स में लगी आग का सही कारण जानने के लिए यह जरूरी है कि पुलिस उन लोगों के बयान भी दर्ज करे जो फायर एनओसी जारी करने की प्रक्रिया में शामिल थे।