दिवाली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा की जाती हैं। इसमें भगवान श्री कृष्ण , गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती हैं। इस दिन भगवान को 56 भोग या 108 तरह के भोग लगाए जाते हैं। जो भगवान को भोग लगता हे उसे ही अन्नकूट कहते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी शक्तियों का उपयोग कर देवराज इंद्र से व्रजवासियों की रक्षा की थी। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अगुंली से उठाया और तभी से इस दिन गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की पूजा की जाती हैं।
अन्नकूट पे हर तरह के पकवानों से भगवान को भोग लगाया जाता हैं। ये अत्यंत ही महत्वपूर्ण पूजा होती हे क्यूंकि इसमें भगवान् के साथ गाय माता की भी पूजा की जाती हैं। ये पूजा के लिए घर में गोबर के गोवर्धन बनाए जाते हैं। उनकी पूजा कर, परिक्रमा भी की जाती हैं जैसे गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा होती हैं।