रायपुर छत्तीसगढ़। भाजपा के आदिवासी आरक्षण का मुद्दा अब धीर धीरे गरमा रहा है। दरसल BJP के आदिवासी नेताओं ने आरक्षण के प्रति पर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए सरकार पर मामले को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया। जिसके खिलाफ मुख्यमंत्री ने पालवार कर अपनी बात रखी। बालोद जिला के दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री प्रेस वार्ता में कहा – BJP सरकार में 58% आरक्षण बिना तैयारी की थी। इस आरक्षण को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बताय। जिसका खामियाजा प्रदेश को भुगतना पड़ रहा है। अब कानूनी राय लेने के बाद हम SC जाएंगे। हाई कोर्ट में चल रहा 58 फीसदी आरक्षण का मामले में हाई कोर्ट ने खिलाफ फैसला लिया है। भाजपा के नेता सरकार को कर रहे बदनाम कांग्रेस के प्रेस कॉन्फ्रेंस दौरान कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम ने भी मुद्दे पर अपनी बात राखी, मोहन मरकाम कहा – हाईकोर्ट में 58 फीसदी आरक्षण के खिलाफ फैसला आया। इस मामले में भाजपा के आदिवासी नेताओं ने प्रेसवार्ता लेकर भूपेश सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया है। इसके लिए पूर्व रमन सरकार जिम्मेदार है। उन्हें प्रदेश की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के आधार पर 50 फीसदी आरक्षण का आंकड़ा पार होने पर इंदिरा साहनी प्रकरण के अनुसार हाईकोर्ट में उचित तथ्य रखना जरूरी है। इसको तत्कालीन रामंसारकार ने पालन नहीं किया। जिसकी वजह से 58 फीसदी आरक्षण रद्द हो गया। साथी उन्होंने कहा की, तत्कालीन रमन सरकार के नियत में खोट थी।