विस्तार वर्षे के परिवार की गरीबी देख पूर्व देशीय चैंपियन बॉक्सर विजेंरेट मल पांच वर्ष पहले उनकी बड़ी बेटी निकिता को अपने साथ घर ले आए. घर की छत पर ही उन्होंने छोटी निकिता को इस तरह बॉक्सिंग सिखाई कि एक वर्ष में वह प्रदेश विजेता बन गईं. पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) के गांव बड़ालू की इस बॉक्सर ने यहां से पीछे मुड़कर नहीं देखा बीते साल जूनियर देशीय और जूनियर एशियाई चैंपियन बनने के बाद रविवार को अम्मान (जॉर्डन) में वह लगातार दूसरा जूनियर एशियाई खिताब जीतने में पास रहीं. पिछली बार जब वह विजेता बनीं थी तो ग्राम प्रधान ने हर गांव वासी को अपने घर की नेम प्लेट बड़ी बेटी के नाम पर लगाने का फरमान सुनाया था.
छोटे भाई-बहन भी सीख रहे बॉक्सिंग
विजेंरेट मीडिया से खुलासा करते हैं कि उनके वर्षे की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. छोटी-मोटी खेतीबाड़ी के अलावा परिवार का पेट पालने के लिए वह एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं. यही कारण था वह निकिता को 10 वर्ष की आयु में अपने पास ले आए और बॉक्सिंग सिखाना शुरू कर दिया. अब वह उसके एक छोटे भाई और बहन को भी साथ ले आए हैं और उन्हें भी बॉक्सिंग सिखा रहे हैं. निकिता की सफलता से प्रेरित होकर उन्होंने घर की छत पर ही हॉल बनवाकर उसे छोटी अकादमी का रूप दे दिया. निकिता का प्रदर्शन पहाड़ में प्रेरणा बन गया है और अब उनके पास यहां 35 के करीब बच्चे हैं.
अब 10वीं की इम्तिहानएं देंगी निकिता
सेना से सेवानिवृत्त विजेंरेट 1986 में देशीय चैंपियन बने थे. मंगलवार को वह स्वयं निकिता को लेने दिल्ली आ रहे हैं. विजेंरेट कहते हैं कि इस बार उसे 10वीं की इम्तिहानएं देनी हैं. अब वह इनकी तैयारियों में जुटेगी.