Karnavati 24 News
તાજા સમાચાર
ताजा समाचार
जीवन शैली

महाशिवरात्रि पर ब्रज के इस मंदिर में शिव के गोपी रूप को देखने के लिए जुटती है भक्तों की भीड़

वृंदावन में शिव का गोपी रूप विराजमान है. ये विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां महादेव का महिलाओं के समान शृंगार किया जाता है. इस मंदिर का निर्माण श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ने करवाया था. यहां जानिए इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा.
वैसे तो ब्रज को भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी (Lord Krishna and Radharani) की लीला नगरी कहा जाता है, लेकिन यहां द्वापरयुग में महादेव (Mahadev) ने भी लीला की है. बताया जाता है कि एक बार महादेव ब्रज में गोपी के रूप में पहुंचे थे. वृंदावन में आज भी महादेव का ये रूप विद्यमान है. इसे गोपेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां महादेव की प्रतिमा का महिलाओं की तरह सोलह शृंगार किया जाता है. बताया जाता है कि ये विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां महादेव महिला के रूप में विराजे हैं. देशभर से वृंदावन आने वाले श्रृद्धालु इस मंदिर में आकर महादेव के इस अनोखे रूप के दर्शन करते हैं. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के दिन तो इस मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग जाती है. यहां जानिए महादेव के गोपेश्वर महादेव स्वरूप से जुड़ी कथा.

ये है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार द्वापरयुग में एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज की गोपियों के साथ महारास किया था. ये दृश्य इतना मनोहर था कि 33 कोटि देवता भी इस दृश्य को देखने के लिए आतुर थे. लेकिन इस महारास में सिर्फ महिलाएं ही शामिल हो सकती थीं. महादेव नारायण को अपना आराध्य मानते हैं इसलिए वे अपने आराध्य की इस लीला का आनंद लेने के लिए व्याकुल हो रहे थे.

जब वे महारास देखने पृथ्वी लोक पर आए तो गोपियों ने उन्हें वहां से ये कहकर लौटा दिया कि इस रास में पुरुषों का आना वर्जित है. इससे महादेव बहुत परेशान हो गए. तब माता पार्वती ने उन्हें यमुना मैया के पास भेजा. महादेव की इच्छा को देखकर यमुना मां ने उनका गोपी के रूप में शृंगार कर दिया. तब महादेव गोपी रूप में उस महारास में शामिल हुए.

इस रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पहचान लिया. महारास समाप्त होने के बाद उन्होंने राधारानी के साथ मिलकर महादेव के गोपी रूप की पूजा की और उनसे इस रूप में ब्रज में ठहरने का आग्रह किया. महादेव ने अपने आराध्य के आग्रह को स्वीकार कर लिया. तब राधारानी ने उनके इस रूप को गोपेश्वर महादेव का नाम दिया. तब से आज तक महादेव का ये रूप वृंदावन में विराजमान है. शिवरात्रि के दिन यहां दूर दूर से भक्त आकर महादेव की आराधना करते हैं.

सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक
बताया जाता है कि गोपेश्वर महादेव का ये मंदिर वृंदावन के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. कहा जाता है ​कि मंदिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने की थी. वज्रनाभ मथुरा के राजा थे और उनके नाम से ही मथुरा क्षेत्र को ब्रजमंडल कहा जाता है. उन्होंने महाराज परीक्षित और महर्षि शांडिल्य के सहयोग से संपूर्ण ब्रजमंडल की पुन: स्थापना की थी और ब्रजमंडल में कृष्‍ण जन्मभूमि पर मंदिर सहित अनेक मंदिरों का निर्माण कराया गया था. गोपेश्वर महादेव का मंदिर भी उनमें से एक है. इस मंदिर में ​आज भी शिव का गोपी के समान ही सोलह शृंगार किया जाता है. उसके बाद ही उनका पूजन होता है.

संबंधित पोस्ट

रोज़ाना जलाए सिर्फ एक कपूर और बहुत सी तकलीफो से निजात पाए।

Karnavati 24 News

त्वचा की एलर्जी, मुंहासों और छेद से छुटकारा दिलाता है गाजर के बीज का तेल

Karnavati 24 News

योग गलतियाँ : योग करें ? इसलिए ये गलतियां न करें!!!

Admin

Health Tips: ‘हैप्पी हार्मोन’ बढ़ाना चाहते हैं तो आजमाएं ये कमाल के न्यूट्रिशन टिप्स

Karnavati 24 News

अमावस्या का श्राद होता हे खास। सर्व पितृ श्राद कहा जाता हे।

सिर्फ दो बच्चे होते हैं अच्छे: रिसर्च का दावा- तीन या इससे ज्यादा बच्चे होने पर माता-पिता जल्दी बूढ़े हो जाते हैं

Karnavati 24 News
Translate »