इसके अलावा पांच हजार से अधिक कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
गुजरात पंचायत विभाग के कर्मचारी 17 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हड़ताल 11वें दिन भी जारी है। वहीं, सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए आठ जिलों से 2,100 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इसके अलावा पांच हजार से अधिक कर्मचारियों को कारण
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हड़ताल खत्म होने पर ही चर्चा संभव है: स्वास्थ्य मंत्री
इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों की ओर से की गई मांगों में से एक मांग राज्य सरकार को स्वीकार थी और दूसरी मांग ग्रेड पे में सुधार की थी। सरकार का रुख इस मामले में एकदम साफ और सख्त है। हड़ताल समाप्त होने के बाद यदि कर्मचारी वार्ता की मेज पर आते हैं तो बात बनेगी, अन्यथा बातचीत का कोई मतलब नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने हड़ताली कर्मचारियों से काम पर वापस लौटने की अपील की, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर असर न पड़े।
राज्यभर में उग्र आंदोलन होगा: रंजीतसिंह महासंघ के अध्यक्ष रंजीतसिंह मोरी के नेतृत्व में स्वास्थ्यकर्मियों ने बुधवार आधी रात को थालियां बजाकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि हड़ताल के दौरान सरकार द्वारा दी गई सभी सजाएं वापस ले ली जाएंगी। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार दो दिन के भीतर उन्हें वार्ता के लिए नहीं बुलाती है तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन होगा। महासंघ ने सभी कर्मचारियों से हड़ताल का समर्थन करने के लिए गांधीनगर आने की अपील की है।
कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं सत्याग्रह शिविर में स्वास्थ्यकर्मियों ने अडिग रहने का संकल्प व्यक्त किया है। सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होने के जोखिम से निपटने के लिए ‘ईएसएमए’ (आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) लागू किया है। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने गुरुवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों की यह हड़ताल पूरी तरह अनुचित है। अगर कर्मचारियों ने जल्द ही अपनी हड़ताल खत्म नहीं की तो सरकार अब सख्त कदम उठाएगी।
स्वास्थ्यकर्मियों की मुख्य मांगों में एमपीएचडब्ल्यू (बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता), एफएचडब्ल्यू (महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता), एमपीएचएस (बहुउद्देशीय स्वास्थ्य पर्यवेक्षक), एफएचएस (महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक), टीएमपीएच टीएचवी और जिला स्तरीय स्वास्थ्य पर्यवेक्षक संवर्ग को तकनीकी संवर्ग में शामिल करना और ग्रेड-पे संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा एमपीएचडब्ल्यू-एफएचडब्ल्यू संवर्गों को विभागीय परीक्षाओं से छूट देने की भी मांग की गई है। सरकार से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने पर कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।