नियमों के कथित उल्लंघन के आरोप में महाराष्ट्र में खांसी की दवाई (कफ सिरप) बनाने वाली छह कंपनियों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। विधानसभा में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी। शुक्रवार को विधानसभा में खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री संजय राठौड़ ने यह जानकारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक आशीष सेलार व अन्य को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर दी।
नकली दवा बनाकर सप्लाई की जाती थी
बता दें कि पिछले साल उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एक कंपनी में बने कफ सिरप पीने से हो गई थी। शुक्रवार को नोएडा फेज 3 पुलिस ने कहा कि उन्होंने कंपनी के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। कहा जा रहा है कि ये कर्मचारी कंपनी में नकली दवाएं बनाकर सप्लाई कर रहे थे। फिलहाल कंपनी के दो निदेशक फरार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिरप का निर्माण नोएडा के सेक्टर 67 में स्थित एक भारतीय दवा कंपनी मैरियन बायोटेक लिमिटेड द्वारा किया गया था। लैब में इसकी जांच के दौरान पाया गया कि इसमें दूषित एथिलीन ग्लाइकोल था। पिछले साल 27 दिसंबर को केंद्रीय और स्थानीय जांच एजेंसियों ने 5 सैंपल लिए थे।
महाराष्ट्र में 84 कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की गई
विधानसभा में राठौर ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कफ सिरप के 108 निर्माताओं में से 84 के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें से चार को उत्पादन बंद करने का निर्देश दिया गया, जबकि छह कंपनियों के लाइसेंस निलंबित किये गए है। उन्होंने आगे कहा कि नियमों का उल्लंघन करने पर 17 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। विधायक आशीष सेलर ने कथित रूप से भारत से आयातित कफ सिरप पीने के बाद गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत का हवाला दिया, लेकिन यह भी कहा कि उस मामले में नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों का सामना कर रही कंपनी हरियाणा में स्थित थी और महाराष्ट्र में उसकी कोई निर्माण इकाई नहीं थी।