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हमेशा ठंडे रहने वाले ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में भीषण गर्मी ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाये, सारे गोरे लोग भुने नजर जा रहे हैं

देखा जाये तो विश्व के सभी ठंडे देशों में लोगों को अप्रत्याशित गर्मी का सामना करना पड़ रहा है जोकि खतरे की घंटी के समान है। जो लोग जलवायु परिवर्तन को हल्के में ले रहे थे उन्हें अब सर्दी में भी गर्मी का अहसास हो रहा है।

आपको और हमको खूब गर्मी सहने की आदत है। अब तो पारा 50 के आसपास भी पहुँच जाता है जिसे हम आसानी से झेल जाते हैं। उमस, गर्मी के माहौल में बिजली कटौती को सहने की आदत भी हर भारतीय को है ही। हमारे यहां सर्दियां कुछ दिनों की मेहमान होती हैं जबकि गर्मी ज्यादातर समय बनी रहती है। इसलिए हम कहीं बाहर देश में जायें तो गर्मी को आसानी से झेल लेते हैं। जो लोग ज्यादा गर्मी नहीं झेल पाते वह गर्मियों में पर्वतीय जगहों पर या फिर ब्रिटेन समेत यूरोपीय देशों की सैर पर चले जाते हैं। लेकिन इस बार ब्रिटेन समेत यूरोप के सभी देश भीषण गर्मी से बेहाल हैं। जो अंग्रेज हमेशा ठंड में रहने के आदी हैं और सूटेड बूटेड रहते हैं वह इस गर्मी को झेल नहीं पा रहे हैं। उनके चेहरे लाल हो गये हैं, पसीना सुखाते सुखाते परेशान हो गये हैं, गर्म कपड़े छोड़ कर पतली टी-शर्ट पहन रहे हैं तो सूर्य की किरणें इतनी तेज हैं कि उनकी त्वचा ही जल जा रही है। सनबर्न से परेशान लोग डॉक्टरों के पास भाग रहे हैं। गर्मी इतनी तेज है कि अग्निकांड बढ़ गये हैं जिससे सरकारों के समक्ष नई मुसीबत खड़ी हो गयी है।

देखा जाये तो विश्व के सभी ठंडे देशों में लोगों को अप्रत्याशित गर्मी का सामना करना पड़ रहा है जोकि खतरे की घंटी के समान है। जो लोग जलवायु परिवर्तन को हल्के में ले रहे थे उन्हें अब सर्दी में भी गर्मी का अहसास हो रहा है। ये गर्मी उन्हें और कितना जलायेगी अभी इस बारे में अनुमान ही लगाये जा रहे हैं। देखा जाये तो सरकारों तथा लोगों को इससे सबक लेते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने की दिशा में अधिक प्रयास करने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी का तो यहां तक कहना है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के हमारे प्रयासों के बावजूद भीषण गर्मी का यह दौर 2060 तक चलने की संभावना है। दरअसल दुनिया अधिक से अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर वायुमंडल को दूषित कर रही है जिसका प्रभाव हर जगह देखने को मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन का असर कोविड-19 महामारी से प्रभावित होने वाले बुजुर्गों, बीमार लोगों और श्वास संबंधी परेशानियों से पीड़ित लोगों पर ही सर्वाधिक होगा।

जहां तक ब्रिटेन की बात है तो उसके इतिहास में मंगलवार का दिन अब तक का सबसे गर्म दिन रहा जब पहली बार तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। दक्षिण-पश्चिम लंदन के हीथ्रो में तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के सरे में पहली बार तापमान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यही नहीं भीषण गर्मी की वजह से आग लगने की घटनाएं भी बढ़ गयी हैं। लंदन के मेयर का कहना है कि पारे के 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद शहर में आग लगने की घटनाओं में “भारी वृद्धि” हुई है। लंदन की दमकल सेवा ‘बेहद दबाव’ में है।

ब्रिटेन के मौसम विभाग ने राजधानी लंदन समेत मध्य, उत्तरी और दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के इलाकों में भीषण गर्मी के कारण रेड अलर्ट जारी किया है। यही नहीं इस गर्मी का एक और साइड इफेक्ट देखिये। अनुमान है कि भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए नदियों और झीलों में नहाने के दौरान कम से कम पांच लोगों की डूबने से मौत हो गयी। माना जा रहा है कि भीषण गर्मी की इस स्थिति को देखते हुए कुछ सड़क मार्गों को बंद किया जा सकता है जबकि ट्रेनों और उड़ानों को भी रद्द करने की संभावना है। माना जा रहा है कि गर्मी के कारण सड़कों पर फंसे हुए लोगों के स्वास्थ्य को भी गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।

हम आपको बता दें कि मौसम ज्यादा गर्म हो जाए तो पानी को पंप करने वाले पाइप, बिजली पहुंचाने की लाइनें और रात-बेरात हमें घर पहुंचाने वाली सड़कों और रेलवे लाइनों को नुकसान पहुंचता है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी, बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ता जाएगा। ब्रिटेन भले समृद्ध देश है लेकिन वह लंबे समय तक लगातार 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान को संभालने के लिए तैयार नहीं है। ब्रिटेन के बुनियादी ढांचे को आमतौर पर सर्दियों के दौरान गर्म बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन यह गर्मियों में गर्मी को दूर रखने के लिए प्रभावी नहीं है। इस बात को जरा उदाहरण के साथ समझते हैं। मसलन अगर रेल की बात करें तो पूरे यूके में रेलवे में हजारों मील का स्टील ट्रैक है। स्टील में उच्च तापीय चालकता होती है, जिसका अर्थ है कि यह अन्य निर्माण सामग्री की तुलना में बहुत अधिक गर्मी को तेजी से अवशोषित और स्थानांतरित कर सकता है और आसपास के हवा के तापमान की तुलना में 20 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा गर्म हो सकता है। स्टील की पटरियां गर्मी में लंबी हो जाती हैं, ट्रैक के आधार और किनारों के खिलाफ बल लगाती हैं। जब विस्तार करने के लिए कोई जगह नहीं होती, तो यह खराब हो सकती है, जिसकी मरम्मत में कुछ दिन लग सकते हैं और इससे रेल प्रणाली बाधित हो सकती है। यही नहीं ब्रिटिश रेल नेटवर्क का लगभग 40% विद्युतीकृत है। बिजली की लाइनें गर्म मौसम में खराब हो जाती हैं, इसलिए बिजली की तारों में आग लगने से रोकने के लिए ट्रेनों को बहुत धीमी गति से यात्रा करने का आदेश दिया जाता है। पानी की बात करें तो साल के ठंडे महीनों में पानी के पाइप न फटते हैं और न ही टूटते हैं। जैसे-जैसे गर्म मौसम में घरों में अधिक पानी की खपत होती है, भूमिगत पाइपों में पानी का दबाव बढ़ जाता है। यही नहीं, गर्म मौसम बिजली पैदा करने और वितरित करने वाले नेटवर्क के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। यूके में पावर ट्रांसमिशन केबल्स पर अक्सर एल्यूमीनियम या रबड़ की परत चढ़ी रहती है, जो गर्मी में अतिसंवेदनशील होते हैं।

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