शिशुओं के जब दांत निकलना शुरु होते हैं, तब भी उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है और बहुत रोता है, इसके उपचार के लिए बच्चे को ग्राइप वाटर दिया जा सकता है। इसको पीने से बच्चे को काफी हद तक आराम मिलेगा।कई बच्चों को एसिडिटी की समस्या बनी रहती है। उसके लिए भी ग्राइप वाटर को दिया जा सकता है। इससे बच्चों को एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या से आराम मिलेगा।अगर आपका बच्चा दूध पीने के बाद डकार नहीं करता या फिर ऊपर से दूध नहीं निकालता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को ग्राइप वॉटर देना चाहिए। ग्राइप वॉटर पीने से शिशुओं को डकारआती है, जिससे आगे होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।
जब तक शिशु 6-7 माह का न हो जाए तब तक कोई अच्छा ग्राइप वाटर सुबह शाम पिलाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में मरोड़ नहीं उठती और पाचन क्रिया अच्छी रहती है। ऊपर का दूध हमेशा उबाल कर ठंडा करके पिलाना चाहिए और दूध या पानी हमेशा कटोरी-चम्मच से पिलाना चाहिए। दस्त के समय बच्चे को भोजन देना जारी रखें, शिशु हो तो स्तनपान जारी रखें।
ग्राइप वाटर वैसे तो बच्चों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कई बार शिशु को इससे एलर्जी भी हो सकती है। कई बार ग्राइप वाटर के सेवन से बच्चों में इस तरह की एलर्जी हो सकती है, जिसपर आपको ध्यान देना चाहिए। ये सभी एलर्जी शिशुओं में देखी जा सकती है।