whale Archives - Karnavati 24 News https://karnavati24news.com/news/tag/whale Wed, 24 Sep 2025 12:04:05 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.2 https://karnavati24news.com/wp-content/uploads/2020/07/2020-07-28-2.png whale Archives - Karnavati 24 News https://karnavati24news.com/news/tag/whale 32 32 सूरत में फिर पकड़ाई 5 करोड़ की व्हेल की उल्टी: तीन आरोपी गिरफ्तार, तीन दिन में 10 करोड़ रुपए से अधिक की एंबरग्रीस जब्त हो चुकी – Gujarat News https://karnavati24news.com/news/94476 https://karnavati24news.com/news/94476#respond Wed, 24 Sep 2025 12:04:05 +0000 https://karnavati24news.com/?p=94476 गुजरात की सूरत पुलिस ने फिर से स्पर्म व्हेल की उल्टी यानी एंबरग्रीस जब्त की है। इसके साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जब्त की गई इस एंबरग्रीस की इंटरनेशनल मार्केट में अनुमानित कीमत 5.04 करोड़ रुपए है। तीन दिन पहले भी करीब 3 किग्रा एंबरग्रीस के स ....

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गुजरात की सूरत पुलिस ने फिर से स्पर्म व्हेल की उल्टी यानी एंबरग्रीस जब्त की है। इसके साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जब्त की गई इस एंबरग्रीस की इंटरनेशनल मार्केट में अनुमानित कीमत 5.04 करोड़ रुपए है। तीन दिन पहले भी करीब 3 किग्रा एंबरग्रीस के स

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स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) को गुप्त सूचना मिली थी कि एंबरग्रीस की बड़ी खेप बेचने के लिए तीन लोग सूरत आ रहे हैं। इसके बाद भुलकाविहार स्कूल के सामने, जिरकॉन एरिया और भाठा गांव में पुलिस ने वॉच रखी। जैसे ही तीनों आरोपी मौके पर पहुंचे, उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। आरोपियों के नाम उसामाखान बदरुद्दीन पठान (35 वर्ष), मुईनुद्दीन मन्सूर मन्सूरी (29 वर्ष) और वसीम इकबाल मुल्ला (38 वर्ष) हैं।

सवाल 1: क्या होती है व्हेल की उल्टी?

जवाब: व्हेल की उल्टी या एम्बरग्रीस फ्रेंच शब्द एम्बर और ग्रीस से मिलकर बना है, जिसका मतलब होता है ग्रे एम्बर। इसे व्हेल की उल्टी कहा जाता है। यह कठोर मोम की तरह होती है, जो स्पर्म व्हेल के पाचन तंत्र में मौजूद आंतों में बनती है।

एम्बरग्रीस अक्सर समुद्र में तैरते हुए पाया जाता है। कई बार यह समुद्र तटों पर लहरों के साथ बहकर भी आता है। इसके साथ ही ये मरी हुई व्हेल के पेट में भी पाया जा सकता है। इसे समुद्र का खजाना या फ्लोटिंग गोल्ड भी कहते हैं। यह चीन, जापान, अफ्रीका और अमेरिका के समुद्र तटों और बहामास जैसे ट्रॉपिकल आइलैंड्स पर सबसे ज्यादा मिलता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है। ये गाढ़े फैट जैसी होती है। कुछ समय बाद इसका रंग गहरा लाल हो जाता है। कई बार ये काली और सलेटी रंग की भी होती है। जब एम्बरग्रीस ताजा होता है, तो इससे मल जैसी गंध निकलती है, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता है इससे मीठी और मिट्टी जैसी सुगंध आने लगती है, जो लंबे वक्त तक बरकरार रहती है।

सवाल 2: कैसे बनती है व्हेल की उल्टी?

जवाब: व्हेल की उल्टी बनने के प्रोसेस को प्रकृति की सबसे अजीबोगरीब घटनाओं में से एक माना जाता है। साइंस को पक्के तौर पर अब भी नहीं पता है कि आखिर यह बनती कैसे है।

फ्लोटिंग गोल्ड: अ नैचुरल एंड (अननैचुरल) हिस्ट्री ऑफ एम्बरग्रीस नामक किताब लिखने वाले क्रिस्टोफर केंप का कहना है कि इसे व्हेल की उल्टी कहना सही नहीं है।

केंप का कहना है कि कभी-कभी, मांस का टुकड़ा व्हेल के पेट से होते हुए जब उसकी आंतों में पहुंचता है, तो एक जटिल प्रोसेस के जरिए व्हेल की उल्टी बनती है। जिसे बाद में व्हेल बाहर निकाल देती है। 1783 में जर्मन फिजिशियन फ्रांज श्वेइगर ने इसे ‘कठोर व्हेल का गोबर’ कहा था।

एक थ्योरी ये भी है कि जब व्हेल बहुत ज्यादा मात्रा में समुद्री जीव को खा लेती है, तो मांस के बड़े टुकड़े को पचाने के लिए ही व्हेल की आंतों में एम्बरग्रीस या व्हेल की उल्टी जैसा पदार्थ बनता है। इस थ्योरी के अनुसार, एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल की आंतों की पित्त नली में बनता है।

सबसे पहले जापानियों ने पता लगाया था कि एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल से पैदा होता है। उससे पहले माना जाता था कि ये समुद्र के पास रहने वाली मधुमक्खियों से या रेजिन नामक जीवाश्म पेड़ से बनता है, जिसके तने से एम्बर बनता है।

सवाल 3: एम्बरग्रीस व्हेल के शरीर से बाहर कैसे निकलता है?

जवाब: एम्बरग्रीस व्हेल के शरीर से आमतौर पर दो तरीकों से निकलता है- उल्टी के रूप में मुंह से या मलद्वार से मल के रूप में।

मल के रूप में निकलने वाले एम्बरग्रीस का रंग मल जैसा होता है। इससे मल की गंध आती है। हालांकि साइंस अब भी इसे लेकर एकमत नहीं है। कोई कहता है कि व्हेल वजन को बाहर निकालती है। इसीलिए इसे व्हेल की उल्टी निकनेम मिला है। कुछ का मानना है कि व्हेल के अंदर के पदार्थ इतने बड़े हो जाते हैं कि वे उसके मलाशय को फाड़ देते हैं।

सवाल 4: कितनी है एक किलो व्हेल की उल्टी की कीमत?

जवाब: इंटरनेशल मार्केट में व्हेल की उल्टी की कीमत 2 करोड़ रुपए किलो तक है। पिछले साल मुंबई पुलिस ने कहा था कि 1 किलो व्हेल की उल्टी की कीमत 1 करोड़ रुपए है। लखनऊ में बरामद 4.12 किलो व्हेल की उल्टी की कीमत UP STF ने 10 करोड़ रुपए बताई है, यानी करीब 2.30 करोड़ रुपए प्रति किलो। कुल मिलाकर व्हेल की उल्टी की कीमत उसकी शुद्धता और क्वॉलिटी से तय होती है।

सवाल 5: आखिर इतनी कीमती क्यों है व्हेल की उल्टी?

जवाब:

एम्बरग्रीस से निकाले गए अल्कोहल का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है, जिससे उसकी खुशबू लंबे समय तक बरकरार रहती है। एकदम सफेद व्हेल की उल्टी वाली वैराइटी की डिमांड परफ्यूम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा होती है। इसी वजह से दुबई में व्हेल की उल्टी की काफी डिमांड है, जहां परफ्यूम का बड़ा मार्केट है। कुछ देशों में इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी होता है। माना जाता है कि प्राचीन मिस्र में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल धूप या अगरबत्ती बनाने में भी होता था। मिस्र में आज भी सिगरेट में फ्लेवर के लिए व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल होता है। 16वीं सदी में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय व्हेल की उल्टी के साथ अंडे खाने के बहुत शौकीन थे। 18वीं सदी में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल टर्किश कॉफी और यूरोप में चॉकलेट का फ्लेवर बढ़ाने में भी होता था। ब्लैक प्लेग महामारी के दौर में कुछ यूरोपीय लोगों का मानना था कि व्हेल की उल्टी का टुकड़ा साथ में रखने से वे प्लेग से बच सकते हैं। कुछ कल्चर में माना जाता है कि व्हेल की उल्टी यौन उत्तेजक के रूप में भी इस्तेमाल हो सकती है। अतीत में कुछ देशों में इसका इस्तेमाल खाने में स्वाद बढ़ाने, शराब और तंबाकू में किया जाता था। अब भी कुछ जगहों पर इसका इस्तेमाल पाइप तंबाकू और नेचुरल सिगरेट तंबाकू में होता है। एम्बरग्रीस ग्रे, भूरे और काले रंग का भी होता है, लेकिन इनकी डिमांड कम है, क्योंकि इनमें एंब्रेन यानी अल्कोहल की मात्रा सबसे कम होती है।

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सूरत में व्हेल मछली की उल्टी बेचने वाला पकड़ाया: भावनगर में समुद्र किनारे मिला था 6 किलो एम्बरग्रीस, 5.72 करोड़ है कीमत https://karnavati24news.com/news/85402 https://karnavati24news.com/news/85402#respond Sun, 21 Sep 2025 11:53:05 +0000 https://karnavati24news.com/?p=85402 सूरत40 मिनट पहले कॉपी लिंक वैज्ञानिक इसे फ्लोटिंग गोल्ड कहते है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में है मांग। गुजरात में सूरत पुलिस ने स्पर्म व्हेल की उल्टी यानी एम्बरग्रीस के साथ एक शख्स को गिरफ्तार किया है। इस दुर्लभ और बहुमूल्य पदार्थ की मात्रा 2.904 किलोग्राम है, जिसकी इंटरनेशनल मार्केट में अनुमानित...

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सूरत40 मिनट पहले

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वैज्ञानिक इसे फ्लोटिंग गोल्ड कहते है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में है मांग।

गुजरात में सूरत पुलिस ने स्पर्म व्हेल की उल्टी यानी एम्बरग्रीस के साथ एक शख्स को गिरफ्तार किया है। इस दुर्लभ और बहुमूल्य पदार्थ की मात्रा 2.904 किलोग्राम है, जिसकी इंटरनेशनल मार्केट में अनुमानित कीमत 5.72 करोड़ रुपए है।

पुलिस के मुताबिक आरोपी विपुल खेती करता है और उसे एंटीक चीजों संग्रहण करने का शौकीन और जानकार भी है। यही कारण था कि समुद्र किनारे मिला यह मोम जैसा पदार्थ वह पहचान सका और बेचने की फिराक में था। एंबरग्रीस की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी कीमत इसे तस्करों का पसंदीदा बनाती है। हालांकि भारत समेत कई देशों में यह पूरी तरह गैरकानूनी है।

कैसे मिला एंबरग्रीस पूछताछ में आरोपी ने पुलिस को बताया कि करीब चार महीने पहले उसे भावनगर के हाथब गांव के समुद्र किनारे यह पदार्थ मिला। शुरुआत में उसे इसकी सही कीमत का अंदाजा नहीं था, लेकिन जानकारी जुटाने के बाद वह समझ गया कि यह करोड़ों का खजाना है। उसने भावनगर में इसे बेचने की कोशिश की, पर खरीदार न मिलने पर सूरत पहुंचा।

यहां किसी ग्राहक तक पहुंचने से पहले ही पुलिस ने उसे धर दबोचा। पुलिस की शुरुआती पूछताछ में विपुल ने खुद को मजदूरी और खेती करने वाला बताया। लेकिन उसके पास से मिली ‘एंबरग्रीस’ यह साफ कर रही थी कि वह केवल एक साधारण किसान नहीं है। उसके मोबाइल की जांच में कई ऐसे लोगों के संपर्क सामने आए हैं, जो दुर्लभ और प्रतिबंधित चीजें खरीदने में दिलचस्पी रखते हैं।

सवाल 1: क्या होती है व्हेल की उल्टी?

जवाब: व्हेल की उल्टी या एम्बरग्रीस फ्रेंच शब्द एम्बर और ग्रीस से मिलकर बना है, जिसका मतलब होता है ग्रे एम्बर। इसे व्हेल की उल्टी कहा जाता है। यह कठोर मोम की तरह होती है, जो स्पर्म व्हेल के पाचन तंत्र में मौजूद आंतों में बनती है।

एम्बरग्रीस अक्सर समुद्र में तैरते हुए पाया जाता है। कई बार यह समुद्र तटों पर लहरों के साथ बहकर भी आता है। इसके साथ ही ये मरी हुई व्हेल के पेट में भी पाया जा सकता है। इसे समुद्र का खजाना या फ्लोटिंग गोल्ड भी कहते हैं। यह चीन, जापान, अफ्रीका और अमेरिका के समुद्र तटों और बहामास जैसे ट्रॉपिकल आइलैंड्स पर सबसे ज्यादा मिलता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है। ये गाढ़े फैट जैसी होती है। कुछ समय बाद इसका रंग गहरा लाल हो जाता है। कई बार ये काली और सलेटी रंग की भी होती है। जब एम्बरग्रीस ताजा होता है, तो इससे मल जैसी गंध निकलती है, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता है इससे मीठी और मिट्टी जैसी सुगंध आने लगती है, जो लंबे वक्त तक बरकरार रहती है।

एम्बरग्रीस का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने सहित दवाईयों के लिए भी किया जाता है।

एम्बरग्रीस का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने सहित दवाईयों के लिए भी किया जाता है।

सवाल 2: कैसे बनती है व्हेल की उल्टी?

जवाब: व्हेल की उल्टी बनने के प्रोसेस को प्रकृति की सबसे अजीबोगरीब घटनाओं में से एक माना जाता है। साइंस को पक्के तौर पर अब भी नहीं पता है कि आखिर यह बनती कैसे है।

फ्लोटिंग गोल्ड: अ नैचुरल एंड (अननैचुरल) हिस्ट्री ऑफ एम्बरग्रीस नामक किताब लिखने वाले क्रिस्टोफर केंप का कहना है कि इसे व्हेल की उल्टी कहना सही नहीं है।

केंप का कहना है कि कभी-कभी, मांस का टुकड़ा व्हेल के पेट से होते हुए जब उसकी आंतों में पहुंचता है, तो एक जटिल प्रोसेस के जरिए व्हेल की उल्टी बनती है। जिसे बाद में व्हेल बाहर निकाल देती है। 1783 में जर्मन फिजिशियन फ्रांज श्वेइगर ने इसे ‘कठोर व्हेल का गोबर’ कहा था।

एक थ्योरी ये भी है कि जब व्हेल बहुत ज्यादा मात्रा में समुद्री जीव को खा लेती है, तो मांस के बड़े टुकड़े को पचाने के लिए ही व्हेल की आंतों में एम्बरग्रीस या व्हेल की उल्टी जैसा पदार्थ बनता है। इस थ्योरी के अनुसार, एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल की आंतों की पित्त नली में बनता है।

सबसे पहले जापानियों ने पता लगाया था कि एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल से पैदा होता है। उससे पहले माना जाता था कि ये समुद्र के पास रहने वाली मधुमक्खियों से या रेजिन नामक जीवाश्म पेड़ से बनता है, जिसके तने से एम्बर बनता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है।

सवाल 3: एम्बरग्रीस व्हेल के शरीर से बाहर कैसे निकलता है?

जवाब: एम्बरग्रीस व्हेल के शरीर से आमतौर पर दो तरीकों से निकलता है- उल्टी के रूप में मुंह से या मलद्वार से मल के रूप में।

मल के रूप में निकलने वाले एम्बरग्रीस का रंग मल जैसा होता है। इससे मल की गंध आती है। हालांकि साइंस अब भी इसे लेकर एकमत नहीं है। कोई कहता है कि व्हेल वजन को बाहर निकालती है। इसीलिए इसे व्हेल की उल्टी निकनेम मिला है। कुछ का मानना है कि व्हेल के अंदर के पदार्थ इतने बड़े हो जाते हैं कि वे उसके मलाशय को फाड़ देते हैं।

सवाल 4: कितनी है एक किलो व्हेल की उल्टी की कीमत?

जवाब: इंटरनेशल मार्केट में व्हेल की उल्टी की कीमत 2 करोड़ रुपए किलो तक है। पिछले साल मुंबई पुलिस ने कहा था कि 1 किलो व्हेल की उल्टी की कीमत 1 करोड़ रुपए है। लखनऊ में बरामद 4.12 किलो व्हेल की उल्टी की कीमत UP STF ने 10 करोड़ रुपए बताई है, यानी करीब 2.30 करोड़ रुपए प्रति किलो। कुल मिलाकर व्हेल की उल्टी की कीमत उसकी शुद्धता और क्वॉलिटी से तय होती है।

सवाल 5: आखिर इतनी कीमती क्यों है व्हेल की उल्टी?

जवाब:

एम्बरग्रीस से निकाले गए अल्कोहल का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है, जिससे उसकी खुशबू लंबे समय तक बरकरार रहती है। एकदम सफेद व्हेल की उल्टी वाली वैराइटी की डिमांड परफ्यूम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा होती है। इसी वजह से दुबई में व्हेल की उल्टी की काफी डिमांड है, जहां परफ्यूम का बड़ा मार्केट है। कुछ देशों में इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी होता है। माना जाता है कि प्राचीन मिस्र में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल धूप या अगरबत्ती बनाने में भी होता था। मिस्र में आज भी सिगरेट में फ्लेवर के लिए व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल होता है। 16वीं सदी में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय व्हेल की उल्टी के साथ अंडे खाने के बहुत शौकीन थे। 18वीं सदी में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल टर्किश कॉफी और यूरोप में चॉकलेट का फ्लेवर बढ़ाने में भी होता था। ब्लैक प्लेग महामारी के दौर में कुछ यूरोपीय लोगों का मानना था कि व्हेल की उल्टी का टुकड़ा साथ में रखने से वे प्लेग से बच सकते हैं। कुछ कल्चर में माना जाता है कि व्हेल की उल्टी यौन उत्तेजक के रूप में भी इस्तेमाल हो सकती है। अतीत में कुछ देशों में इसका इस्तेमाल खाने में स्वाद बढ़ाने, शराब और तंबाकू में किया जाता था। अब भी कुछ जगहों पर इसका इस्तेमाल पाइप तंबाकू और नेचुरल सिगरेट तंबाकू में होता है। एम्बरग्रीस ग्रे, भूरे और काले रंग का भी होता है, लेकिन इनकी डिमांड कम है, क्योंकि इनमें एंब्रेन यानी अल्कोहल की मात्रा सबसे कम होती है।

खबरें और भी हैं…

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अहमदाबाद में व्हेल मछली की उल्टी बेचने वाले पकड़ाए: कचरा बीनने वाले को मिली थी 2904 ग्राम एम्बरग्रीस, 2.90 करोड़ है कीमत https://karnavati24news.com/news/31096 https://karnavati24news.com/news/31096#respond Fri, 09 May 2025 05:57:22 +0000 https://karnavati24news.com/?p=31096 अहमदाबाद6 दिन पहले कॉपी लिंक वैज्ञानिक इसे फ्लोटिंग गोल्ड कहते है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में है मांग। अहमदाबाद सिटी क्राइम ब्रांच ने स्पर्म व्हेल की उल्टी यानी एम्बरग्रीस के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस दुर्लभ और बहुमूल्य पदार्थ की मात्रा 2.904 किलोग्राम है, जिसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित...

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अहमदाबाद6 दिन पहले

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वैज्ञानिक इसे फ्लोटिंग गोल्ड कहते है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में है मांग।

अहमदाबाद सिटी क्राइम ब्रांच ने स्पर्म व्हेल की उल्टी यानी एम्बरग्रीस के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस दुर्लभ और बहुमूल्य पदार्थ की मात्रा 2.904 किलोग्राम है, जिसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित मूल्य 2.90 करोड़ रुपए है। कचरा बीनने का काम करने वाले मोहम्मद हनीफ को यह उल्टी मिली थी। भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत शुक्राणु व्हेल को संरक्षित प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और उनका व्यापार अवैध है।

क्राइम ब्रांच ने एक गुप्त सूचना के आधार पर आमिर शेख को सूरत से अहमदाबाद से गिरफ्तार किया था। उसके मोबाइल फोन पर स्पर्म व्हेल की उल्टी (एम्बरग्रीस) का वीडियो मिला था। क्राइम ब्रांच ने जांच की तो पता चला कि दमण के रहने वाले सहादत अली और सूरत का उस्मान शेख ने कमीशन के जरिए आमिर और उसके साथियों से एम्बरग्रीस बेचने की बात कही थी। इसी आधार पर वे एक गिरोह के जरिए एम्बरग्रीस बेचने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने सूरत के उस्मान शेख के घर की तलाशी ली और 2.904 किलोग्राम स्पर्म व्हेल की उल्टी जब्त कर ली।

सवाल 1: क्या होती है व्हेल की उल्टी? जवाब: व्हेल की उल्टी या एम्बरग्रीस फ्रेंच शब्द एम्बर और ग्रीस से मिलकर बना है, जिसका मतलब होता है ग्रे एम्बर। इसे व्हेल की उल्टी कहा जाता है। यह कठोर मोम की तरह होती है, जो स्पर्म व्हेल के पाचन तंत्र में मौजूद आंतों में बनती है।

एम्बरग्रीस अक्सर समुद्र में तैरते हुए पाया जाता है। कई बार यह समुद्र तटों पर लहरों के साथ बहकर भी आता है। इसके साथ ही ये मरी हुई व्हेल के पेट में भी पाया जा सकता है। इसे समुद्र का खजाना या फ्लोटिंग गोल्ड भी कहते हैं। यह चीन, जापान, अफ्रीका और अमेरिका के समुद्र तटों और बहामास जैसे ट्रॉपिकल आइलैंड्स पर सबसे ज्यादा मिलता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है। ये गाढ़े फैट जैसी होती है। कुछ समय बाद इसका रंग गहरा लाल हो जाता है। कई बार ये काली और सलेटी रंग की भी होती है। जब एम्बरग्रीस ताजा होता है, तो इससे मल जैसी गंध निकलती है, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता है इससे मीठी और मिट्टी जैसी सुगंध आने लगती है, जो लंबे वक्त तक बरकरार रहती है।

एम्बरग्रीस का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने सहित दवाईयों के लिए भी किया जाता है।

एम्बरग्रीस का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने सहित दवाईयों के लिए भी किया जाता है।

सवाल 2: कैसे बनती है व्हेल की उल्टी? जवाब: व्हेल की उल्टी बनने के प्रोसेस को प्रकृति की सबसे अजीबोगरीब घटनाओं में से एक माना जाता है। साइंस को पक्के तौर पर अब भी नहीं पता है कि आखिर यह बनती कैसे है।

फ्लोटिंग गोल्ड: अ नैचुरल एंड (अननैचुरल) हिस्ट्री ऑफ एम्बरग्रीस नामक किताब लिखने वाले क्रिस्टोफर केंप का कहना है कि इसे व्हेल की उल्टी कहना सही नहीं है।

केंप का कहना है कि कभी-कभी, मांस का टुकड़ा व्हेल के पेट से होते हुए जब उसकी आंतों में पहुंचता है, तो एक जटिल प्रोसेस के जरिए व्हेल की उल्टी बनती है। जिसे बाद में व्हेल बाहर निकाल देती है। 1783 में जर्मन फिजिशियन फ्रांज श्वेइगर ने इसे ‘कठोर व्हेल का गोबर’ कहा था।

एक थ्योरी ये भी है कि जब व्हेल बहुत ज्यादा मात्रा में समुद्री जीव को खा लेती है, तो मांस के बड़े टुकड़े को पचाने के लिए ही व्हेल की आंतों में एम्बरग्रीस या व्हेल की उल्टी जैसा पदार्थ बनता है। इस थ्योरी के अनुसार, एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल की आंतों की पित्त नली में बनता है।

सबसे पहले जापानियों ने पता लगाया था कि एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल से पैदा होता है। उससे पहले माना जाता था कि ये समुद्र के पास रहने वाली मधुमक्खियों से या रेजिन नामक जीवाश्म पेड़ से बनता है, जिसके तने से एम्बर बनता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है।

व्हेल की उल्टी जब व्हेल के शरीर से निकलती है, तो इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला होता है।

सवाल 3: एम्बरग्रीस व्हेल के शरीर से बाहर कैसे निकलता है?

जवाब: एम्बरग्रीस व्हेल के शरीर से आमतौर पर दो तरीकों से निकलता है- उल्टी के रूप में मुंह से या मलद्वार से मल के रूप में।

मल के रूप में निकलने वाले एम्बरग्रीस का रंग मल जैसा होता है। इससे मल की गंध आती है। हालांकि साइंस अब भी इसे लेकर एकमत नहीं है। कोई कहता है कि व्हेल वजन को बाहर निकालती है। इसीलिए इसे व्हेल की उल्टी निकनेम मिला है। कुछ का मानना है कि व्हेल के अंदर के पदार्थ इतने बड़े हो जाते हैं कि वे उसके मलाशय को फाड़ देते हैं।

सवाल 4: कितनी है एक किलो व्हेल की उल्टी की कीमत?

जवाब: इंटरनेशल मार्केट में व्हेल की उल्टी की कीमत 2 करोड़ रुपए किलो तक है। पिछले साल मुंबई पुलिस ने कहा था कि 1 किलो व्हेल की उल्टी की कीमत 1 करोड़ रुपए है। लखनऊ में बरामद 4.12 किलो व्हेल की उल्टी की कीमत UP STF ने 10 करोड़ रुपए बताई है, यानी करीब 2.30 करोड़ रुपए प्रति किलो। कुल मिलाकर व्हेल की उल्टी की कीमत उसकी शुद्धता और क्वॉलिटी से तय होती है।

सवाल 5: आखिर इतनी कीमती क्यों है व्हेल की उल्टी?

जवाब:

एम्बरग्रीस से निकाले गए अल्कोहल का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है, जिससे उसकी खुशबू लंबे समय तक बरकरार रहती है।एकदम सफेद व्हेल की उल्टी वाली वैराइटी की डिमांड परफ्यूम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा होती है।इसी वजह से दुबई में व्हेल की उल्टी की काफी डिमांड है, जहां परफ्यूम का बड़ा मार्केट है।कुछ देशों में इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी होता है।माना जाता है कि प्राचीन मिस्र में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल धूप या अगरबत्ती बनाने में भी होता था।मिस्र में आज भी सिगरेट में फ्लेवर के लिए व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल होता है।16वीं सदी में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय व्हेल की उल्टी के साथ अंडे खाने के बहुत शौकीन थे।18वीं सदी में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल टर्किश कॉफी और यूरोप में चॉकलेट का फ्लेवर बढ़ाने में भी होता था।ब्लैक प्लेग महामारी के दौर में कुछ यूरोपीय लोगों का मानना था कि व्हेल की उल्टी का टुकड़ा साथ में रखने से वे प्लेग से बच सकते हैं।कुछ कल्चर में माना जाता है कि व्हेल की उल्टी यौन उत्तेजक के रूप में भी इस्तेमाल हो सकती है।अतीत में कुछ देशों में इसका इस्तेमाल खाने में स्वाद बढ़ाने, शराब और तंबाकू में किया जाता था। अब भी कुछ जगहों पर इसका इस्तेमाल पाइप तंबाकू और नेचुरल सिगरेट तंबाकू में होता है। एम्बरग्रीस ग्रे, भूरे और काले रंग का भी होता है, लेकिन इनकी डिमांड कम है, क्योंकि इनमें एंब्रेन यानी अल्कोहल की मात्रा सबसे कम होती है।

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