injection Archives - Karnavati 24 News https://karnavati24news.com/news/tag/injection Fri, 14 Feb 2025 09:57:49 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://karnavati24news.com/wp-content/uploads/2020/07/2020-07-28-2.png injection Archives - Karnavati 24 News https://karnavati24news.com/news/tag/injection 32 32 गुजरात में बच्चे को 16 करोड़ का इंजेक्शन दिया गया: अमेरिका से 72 घंटे में पहुंचा, गुजरातियों ने 1 महीने में ही चंदे से जमा किए रुपए – Gujarat News https://karnavati24news.com/news/28545 https://karnavati24news.com/news/28545#respond Fri, 14 Feb 2025 09:57:49 +0000 https://karnavati24news.com/?p=28545 गुजरातियों ने एक बार फिर मानवता दिखाई है। चार साल पहले, गुजराती गोधरा के एक बच्चे की जान बचाने के लिए जरूरी 16 करोड़ रुपए जुटाने सड़कों पर उतर आए था। ऐसा ही अब हिम्मतनगर में हुआ है। यहां एक गरीब परिवार के 20 महीने का बच्चे को 16 करोड़...

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गुजरातियों ने एक बार फिर मानवता दिखाई है। चार साल पहले, गुजराती गोधरा के एक बच्चे की जान बचाने के लिए जरूरी 16 करोड़ रुपए जुटाने सड़कों पर उतर आए था। ऐसा ही अब हिम्मतनगर में हुआ है। यहां एक गरीब परिवार के 20 महीने का बच्चे को 16 करोड़ रुपए के इंजेक्श

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गुरुवार को अमेरिका से यह इंजेक्शन अहमदाबाद पहुंच गया। बीते मंगलवार को बच्चे को सफलतापूर्वक इंजेक्शन का डोज दिया गया और अब उसकी हालत में सुधार होना शुरू हो गया है। गुजरात में एसएमए टाइप-1 से पीड़ित बच्चे को इंजेक्शन दिए जाने का पहला मामला है।

अमेरिका से मंगवाया गया एसएमए टाइप-1 के इंजैक्शन का वायल।

पहले जानिए, एसएमए टाइप-1 बीमारी के बारे में बच्चे का इलाज करने वाले रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड न्यूरोसाइंस के डॉ . संजीव मेहता का कहना है कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफ़ी (एसएमए) टाइप 1, एक आनुवंशिक बीमारी है। यह मांसपेशियों की कमजोर करना शुरू कर देती है। इससे बच्चे को बार-बार निमोनिया होता है।

सांस लेने में कठिनाई होती है और इस बीमारी से पीड़त बच्चे न तो बैठ सकते है और न ही किसी जीच के सहारे खड़ा हो पाते हैं। मांसपेशियों के कमजोर होने से वे पूरे समय सुस्त पड़े रहते हैं। इसका इंजेक्शन अमेरिका में ही उपलब्ध है। इंजेक्शन के डोज के बाद एसएमए के जींस ए्क्टिव होने लगते हैं।

इंजेक्शन -70 डिग्री सेल्सियस में अहमदाबाद तक लाया गया डॉ. संजीव मेहता ने आगे बताया कि सारी कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद अमेरिका से गुजरात तक की एक चेन तैयार की गई। क्योंकि, इंजेक्शन को पूरे समय -70 डिग्री पर ही रखना था। अमीरात की फ्लाइट में ही इसकी व्यवस्था कर दी गई थी। इसके बाद दुबई होते हुए इंजेक्शन दिल्ली पहुंचा और फिर दूसरे प्लेन से इसे अहमदाबाद लाया गया।

अस्पताल में कुछ घंटे तक -70 के टेंपरेचर में रखने के बाद इंजेक्शन को नॉर्मल करने के लिए डेढ़ घंटे तक 2 से 5 डिग्री सेल्सियस पर रखा गया और फिर डेढ़ घंटे की प्रोसेस में बच्चे को इंजेक्शन की डोज दी गईं।

कई लोगों ने 50 से 100 रुपए की भी मदद दी बच्चे के चाचा आबिद अली कहते हैं कि शुरूआत में उनका बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था। लेकिन डेढ़ साल का होने के बाद वह अक्सर बीमार रहने लगा। उसके पूरे बदन में सुस्ती रहती थी। करीब दो महीने पहले उसे सिविल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था।

यहां लगातार दो हफ्तों तक चले इलाज के बाद रिपोर्ट में उसके एसएमए टाइप-1 से पीड़ित होने की रिपोर्ट आई। लेकिन, इसके इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की जरूरत थी। हमने इंपैक्ट गुरू फाउंडेशन से संपर्क किया।

इंपैक्ट गुरू फाउंडेशन ग्रुप ने हमारी बहुत मदद की और उन्होंने पैसा जमा करने अभियान चलाया। डॉक्टरों से लेकर गरीब लोगों तक ने 50 से 100 रुपए की मदद दी और एक ही महीने में 16 करोड़ रुपए की रकम जमा हो गई। सरकार ने भी टैक्स जैसी सभी फीस माफ कर दी थी। आखिरकार गुजरात के लोगों की मदद से मेरे बच्चे की जान बच गई। अब वह चल-फिर और दौड़ भी पाएगा।

दवा कंपनी से भी ट्रेनिंग ली: डॉ. सिद्धार्थ वहीं, डॉ. सिद्धार्थ शाह ने बताया कि अमेरिका से इंजेक्शन का अप्रूवल मिलते ही हमने अस्पताल में विशेष तैयारियां शुरू कर दी थीं। हमें एक बाल चिकित्सा न्यूरो आईसीयू की आवश्यकता थी, हमें ऐसे स्टाफ की आवश्यकता थी, जो तुरंत हमारी सहायता कर सके। हालांकि हमारी टीम ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) का भी इलाज होता है तो सारी व्यवस्थाएं हो गईं और टीम का अनुभव काम आया।

इसके अलावा हम लगातार मुंबई के उन डॉक्टरों के संपर्क में रहे, जिन्होंने मुंबई में इसी तरह के एक बच्चे को यह इंजेक्शन दिया था। इसके अलावा हमारी एक टीम ने इस दवा का निर्माण करने वाली कंपनी से ट्रेनिंग ली थी और हम लगातार उनके भी संपर्क में रहे। क्योंकि, इंजेक्शन के -70 डिग्री के टेंपरेचर से निकालने से लेकर इसे नॉर्मल करने और बच्चे को पूरी सावधानी से डोज देने तक की प्रोसेस में गलती की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। लेकिन, हमारे पूरे स्टाफ की मेहनत और धैर्य से यह मिशन पूरा हो गया।

बच्चे की 3 महीने तक नियमित निगरानी की जाएगी डॉ. सिद्धार्थ शाह ने आगे बताया कि बच्चे की अगले 3 महीने तक नियमित निगरानी की जाएगी। हर हफ्ते की टेस्ट किए जाएंगे। बच्चे की मांसपेशिया, उसके लीवर, व्हाइट सेल काउंट, ब्रीदिंग काउंट पर नजर रखी जाएगी। इस दौरान बच्चे को स्टेरॉयड दवा की एक विशिष्ट खुराक भी दी जाती है, ताकि शरीर पर कोई दुष्प्रभाव न हो।

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