bone bank Archives - Karnavati 24 News https://karnavati24news.com/news/tag/bone-bank Mon, 27 Jan 2025 13:12:56 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://karnavati24news.com/wp-content/uploads/2020/07/2020-07-28-2.png bone bank Archives - Karnavati 24 News https://karnavati24news.com/news/tag/bone-bank 32 32 पश्चिम भारत का पहला हड्डी बैंक अहमदाबाद में: अब शरीर में किसी जगह हड्डी लगवाने के लिए दूसरी जगह से हड्डी निकलवाने की जरूरत नहीं – Gujarat News https://karnavati24news.com/news/27737 https://karnavati24news.com/news/27737#respond Mon, 27 Jan 2025 13:12:56 +0000 https://karnavati24news.com/?p=27737 भारत में एम्स, टाटा मेमोरियल, वेल्लोर अस्पतालों में हड्डी बैंक हैं, लेकिन वहां से हड्डियां दूसरे अस्पतालों को नहीं दी जाती हैं। अहमदाबाद के कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल में शुरू हुआ बोन बैंक हड्डी रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। उसके दो कारण हैं, पहला ये कि ये न...

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भारत में एम्स, टाटा मेमोरियल, वेल्लोर अस्पतालों में हड्डी बैंक हैं, लेकिन वहां से हड्डियां दूसरे अस्पतालों को नहीं दी जाती हैं।

अहमदाबाद के कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल में शुरू हुआ बोन बैंक हड्डी रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। उसके दो कारण हैं, पहला ये कि ये न सिर्फ गुजरात का बल्कि पश्चिमी भारत का पहला बोन बैंक है। दूसरे, भारत में एम्स, टाटा मेमोरियल, वेल्लोर अस्पतालों में

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कुछ दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद के घुमा के पास कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल के बोन बैंक का उद्घाटन किया था। आपके मन में इस बोन बैंक को शुरू करने का विचार कैसे आया? बोन बैंक के क्या फायदे हैं? सबसे बड़ी बात यह है कि इस बोन बैंक के शुरू होने से मरीजों को एक नहीं बल्कि कई फायदे होंगे। अस्थि संरक्षण प्रक्रिया क्या है? दिव्य भास्कर ने बोन बैंक जाकर इसकी प्रक्रिया के बारे में जाना और कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल के चेयरमैन ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विक्रम शाह और ग्रुप सीओओ डॉ. निशिता शुक्ला से जानकारी ली।

कुछ दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद के घुमा के पास कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल के बोन बैंक का उद्घाटन किया था।

सवाल: आपके मन में इस बोन बैंक को शुरू करने का विचार कैसे आया? जवाब: डॉ. विक्रम शाह ने कहा कि मैंने अमेरिका में एक बोन बैंक देखा? मैंने देखा कि उन्होंने हड्डियों को कैसे संरक्षित और उपयोग किया। जब जोड़ प्रतिस्थापन, कैंसर या दांत के मामले में हड्डी उपलब्ध नहीं होती है, तो एक विशेष प्रकार के प्रत्यारोपण का उपयोग करना पड़ता है। यदि विशेष प्रकार के प्रत्यारोपण का उपयोग किया जाता है, तो इलाज की लागत बढ़ जाएगी और प्राकृतिक हड्डी उपलब्ध नहीं होगी। साथ ही भविष्य में रिवीजन में और अधिक परेशानी होगी। इसीलिए मैंने सोचा कि क्यों न अहमदाबाद में एक बोन बैंक स्थापित किया जाए।

सवाल: क्या बोन बैंक में जमा हड्डियों से किसी अस्पताल को फायदा हो सकता है? जवाब: हां, इस बोन बैंक का उद्देश्य भी यही है। हमारे अस्पताल में संरक्षित हड्डियों का दूसरे मरीज़ों में इस्तेमाल किया जा सकता है। एम्स, वेल्लोर की तरह, टाटा मेमोरियल अस्पताल एक आंतरिक हड्डी बैंक चलाता है। लेकिन, हड्डियां दूसरे हॉस्पिटल को नहीं दी जातीं। मैंने यही सोचा कि अगर मैं आर्थोपेडिक सर्जन, कैंसर सर्जन या दंत चिकित्सकों को हड्डी उपलब्ध करा सकूं, तो कई रोगियों को लाभ होगा। इसी सोच के साथ हमने एक बोन बैंक बनाने और इसमें सभी डॉक्टरों को शामिल करने का निर्णय लिया, ताकि वे अपने मरीजों का बेहतर इलाज कर सकें।

सवाल: अस्थि बैंक में किस प्रकार की हड्डियां संग्रहित की जाती हैं? जवाब: इस सवाल के जवाब में ग्रुप सीओओ डॉ. निशिता शुक्ला ने कहा- अस्थि बैंक में दो तरह की हड्डियां संरक्षित की जाती हैं। एक, ताजी जमी हुई हड्डियां। दूसरी,सूखी हड्डियां। गीली हड्डियों को माइनस 80 डिग्री तापमान वाले रेफ्रिजरेटर में रखना पड़ता है। जबकि सूखी हड्डियों को साधारण अलमारी में भी रखा जा सकता है। दोनों हड्डियों को आमतौर पर तीन महीने तक संरक्षित रखा जाता है। तीन माह के अंदर उपयोग न होने पर इसे फेंकना पड़ता है।

हड्डियों को बोन बैंक में माइनस 60 डिग्री तापमान के कैबिनेट में रखा जाता है।

हड्डियों को बोन बैंक में माइनस 60 डिग्री तापमान के कैबिनेट में रखा जाता है।

सवाल: अस्थि बैंक में अस्थि संरक्षण एवं अस्थि दान की प्रक्रिया क्या है जवाब: बोन बैंक प्रक्रिया के बारे में बताते हुए डॉ. निशिता शुक्ला ने बताया कि यदि कोई मरीज हमारे अस्पताल में भर्ती होता है और आर्थोपेडिक सर्जरी के बाद उसके शरीर से कोई हड्डी निकलती है तो उसे हड्डी बैंक में जमा करने के लिए मरीज की सहमति ली जाती है। इसका फॉर्म भरवाया जाता है। इसमें मरीज का नाम, उम्र, हड्डी का कौन सा हिस्सा निकाला गया, सारी जानकारी होती है। इस हड्डी को बोन बैंक के स्टाफ द्वारा ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है। कृष्णा शेल्बी अस्पताल के भूमिगत तल में एक हड्डियों का बैंक है। हड्डियों को ऊपर लाकर पहले बोन बैंक में माइनस 60 डिग्री तापमान के कैबिनेट में रखा जाता है। हड्डी को आगे की प्रक्रिया के लिए तभी भेजा जाता है, जब मरीज को कोई संक्रमण या अन्य बीमारी न हो।

सफाई की लंबी प्रोसेस के बाद रिजर्व की जाती हैं हड्डियां सर्जरी द्वारा निकाली गई हड्डियों में रक्त और ऊतक चिपके रहते हैं। पहले इसे साफ करना होता है। हड्डी साफ होने के बाद आवश्यकतानुसार काट ली जाती है। काटने के बाद इसे शेकर वॉटर बाथ मशीन में डालकर तीन घंटे तक हिलाया जाता है, ताकि हड्डियों में मौजूद कीटाणु मर जाएं। हड्डियों के अंदर छोटे-छोटे छेद होते हैं। इसके अंदर अगर वायरस या बैक्टीरिया हों तो भी वे बाहर आ जाते हैं। तीन घंटे तक हिलाने के बाद अल्ट्रासोनिकेटर मशीन में रखकर तीन घंटे तक केमिकल प्रोसेसिंग की जाती है।

केमिकल स्प्रे के बाद हड्डी पूरी तरह से साफ और रोगाणु मुक्त हो जाती है। अल्ट्रासोनिकेटर मशीन में सफाई के बाद आसुत जल से धोया गया। फिर दूसरे कमरे में बायोसेफ्टी कैबिनेट है. इसमें हड्डियों को स्टरलाइज़ किया जाता है। इस कैबिनेट के अंदर पैकिंग मशीन रखी होती है। इसलिए स्टरलाइज़ करने के बाद पहली पैकिंग अंदर की जाती है। हड्डियों को पैक करके रेडिएशन सेंटर में भेजा जाता है। वहां प्रक्रिया के बाद हड्डियां वापस आ जाती हैं। विकिरण प्रक्रिया के बाद हड्डी उपयोग योग्य होती है।

अहमदाबाद के घुमा के पास स्थित है कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल।

अहमदाबाद के घुमा के पास स्थित है कृष्णा शेल्बी हॉस्पिटल।

मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुसार रखा जाता है रिकॉर्ड जब ऑपरेशन करते समय डॉक्टर को किसी हड्डी की जरूरत होती है तो स्टाफ हड्डियों को पैक करके ऑपरेशन थिएटर में जाता है। वह अंदर जाता है और पहला पैक खोलता है और डॉक्टर चिमटी की मदद से हड्डी को उठाता है और मरीज में फिट कर देता है। जिस तरह मरीज की हड्डी लेते समय फॉर्म भरा जाता है, उसी तरह किसी भी मरीज में हड्डी प्रत्यारोपित करने से पहले उसकी सहमति ली जाती है और एक अलग फॉर्म भरा जाता है। प्रत्येक हड्डी पैकिंग को क्रमांकित किया गया है। उसकी माप, वजन, हड्डी कहां है, किसकी है, किसने दी, यह सब रिकॉर्ड कंप्यूटर में फीड होता है। इस मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुसार रिकॉर्ड बनाए रखा जाता है।

कैंसर सर्जरी, डेंटल सर्जरी के लिए भी हड्डियों की जरूरत होती है सिर्फ हाथ-पैर ही नहीं, शरीर के हर हिस्से में हड्डियों की जरूरत होती है। मान लीजिए, अगर किसी को मुंह का कैंसर है और जबड़ा सड़ गया है, तो जबड़े का एक तरफ का हिस्सा निकालना पड़ेगा। इसीलिए जबड़ा निकालने के बाद कैंसर रोगी का चेहरा विकृत हो जाता है। ऐसा होने से रोकने के लिए जबड़े के पास एक हड्डी लगानी पड़ती है ताकि चेहरे का संतुलन बना रहे। इसलिए जबड़े की हड्डियां व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। इस प्रकार के अस्थि बैंक से ये हड्डियां प्राप्त की जा सकती हैं।

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