राजस्थान में हनुमान बेनीवाल को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है. युवाओं के आदर्श बन चुके हनुमान के सिर्फ एक इशारे पर ही हजारों लोगों की भीड़ लग जाती है. आइये जानते है हनुाम बेनिवाल की राजनीति के बारे में. नागौर जिला मुख्यालाय से करीब 25 किलोमीटर की दूर स्थित बरणगांव के रहने वाले हनुमान बेनीवाल के पिता विधायक रहे हैं और यहीं कारण है कि उनकी दिलचस्पी राजनीति में बचपन से ही रही. राजनीति वातावरण में रहने वाले हनुमान बेनिवाल की शिक्षा जयपुर से हुई और राजस्थान यूनिवर्सिटी के दौरान उनकी दिलचस्पी चुनाव लड़ने की हुई. 1995 में उन्हें राजस्थान कॉलेज में प्रेसीडेंट पद पर चुना गया.
1997 में हनुमान ने राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष के चुनाव में जीत का परचम लहराया. इस दौरान उन्होंने कई विरोध प्रदर्शन और धरने दिए जिसके कारण उनका नाम चर्चा का विषय बना. वर्ष 2008 में बेनीवाल भाजपा से विधायक बने. खींवसर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के बाद वसुंधरा राजे का विरोध करने के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. दौरान बेनीवाल ने भाजपा और कांग्रेस पार्टी का विरोदश किया जिसके कारण उन्हें लोगों द्वारा काफी पंसद
किया गया. युवाओं में उनकी सबसे ज्यादा लोकप्रियता बढ़ी. बेनीवाल किसान और युवा की भी काफी बातें करते है. कई आंदोलन में शामिल होने वाले बेनिवाल किसी भी जाति या वर्ग के लिए हमेशा खड़े होते है. विधायक बनने के बाद राजस्थान के अपने विधानसभा क्षेत्र में खूब विकास किया. किसानों से जुड़े हर मुद्दे के लिए गवर्नमेंट के सामने खड़े हो गए जिससे उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई. वर्ष 2013 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर निर्दलीय के रूप में खींवसर से ताल ठोकी और चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वसुुंधरा गवर्नमेंट पर जमकर धावा बोला था.
पीएम ने पीठ ठोककर दिया आशीर्वाद
चुनाव रिज़ल्ट के एक दिन बाद 25 मई 2019 को हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्र के प्रधामनंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को चुनने के बाद उन्हें शुभकामना दी. इस मौका पर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थानी अंदाज में बेनीवाल की पीठ ठोककर आशीर्वाद दिया.