विस्तार Ratna Sansar: ज्योतिषीय उपायों में मुख्य रूप से नौ रत्नों की चर्चा की गयी है। रत्नों में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है जो मनुष्य के जीवन को ऊर्जावान और प्रकाशमय करने की शक्ति रखती है। रत्नों से निकलने वाली किरणें और ऊर्जा मनुष्य के पूरे शरीर पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। रत्नों के कई प्रकार हैं और उसी तरह उनके प्रभाव और गुण भी अलग-अलग हैं। परन्तु ये रत्न कभी कभी बहुत ज्यादा महंगे होते हैं और कभी कभी इनके नकली होने की सम्भावना भी होती है। अक्सर रत्नों के अभाव में उपरत्न का
किया जाता है।वह सस्ते होने के साथ-साथ कारगर भी। उपरत्न और रत्न में मुख्य अंतर यही है कि रत्न ज्यादा लम्बे समय तक काम करते हैं जबकि उपरत्न कम समय के लिए प्रभावशाली होते हैं। इसलिए उपरत्नों को कुछ अधिक वजन का ही पहनना चाहिए। विज्ञापन if(typeof is_mobile !=undefined is_mobile()){ googletag.cmd.push(function() { googletag.display(div-gpt-ad-1514643645465-2); });} ऐसा ही एक उपरत्न है लीलिया। ज्योतिषी अक्सर लीलिया या नीली उपरत्न नीलम के स्थान पर धारण करने की सलाह देते हैं। शनि ग्रह का रत्न कहा जाने वाले नीलम एक बहुमूल्य रत्न माना जाता है। और इसकी कीमत अन्य रत्नों की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। ऐसे में जो व्यक्ति नीलम नहीं खरीद सकते वह उसका उपरत्न नीली या लीलिया धारण कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं लीलिया उपरत्न के बारे में। Ratna Sansar: – फोटो : istock Ratna Sansar: – फोटो : istock इन राशि के जातक धारण कर सकते हैं उपरत्न यदि किसी जातक की कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति को देखकर ज्योतिषी नीलम पहनने की सलाह देते हैं और आपके लिए यदि नीलम खरीदना संभव नहीं है तो आप उस स्थान पर आप लीलिया धारण कर सकते हैं। वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ आदि राशि के नीली रत्न धारण कर सकते हैं। परंतु अन्य राशि के जातकों को इस उपरत्न को धारण नहीं कारन चाहिए। यह आपको अशुभ प्रभाव दे सकता है। Ratna Sansar: – फोटो : istock कैसे धारण करें लीलिया उपरत्न लीलिया या नीली उपरत्न को नीलम रत्न की तरह ही धारण करें। लीलिया उपरत्न को शनिवार को दोपहर के समय मध्यमा अंगुली में धारण करें। लीलिया उपरत्न का चौकोर होना चाहिए। ध्यान रखें कि यह उपरत्न अंगुली की त्वचा को छूता रहे। नीली उपरत्न धारण करने के बाद मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। विज्ञापन if(typeof _app_adv_status !==undefined && _app_adv_status == disable){ if(typeof is_mobile !=undefined && is_mobile()){googletag.cmd.push(function() { googletag.display(“div-gpt-ad-1517823702248-0”); });} } क्या है नीली या लीलिया नीलम रत्न का प्रमुक उपरत्न नीली माना जाता है। इसे नीलिया या लीलिया नाम से भी जाना जाता है। संभवतः नीले रंग का होने के कारण ही इसे यह नाम दिया गया है।यह हल्के नीले रंग का चमकीला रत्न है। लीलिया गंगा यमुना और अन्य नदियों के रेतीले किनारों पर मिल सकता है। नीलम की तरह इसे भी ज्योतिष की सलाह अनुसार धारण करना चाहिए। सही वजन या रत्ती का उपरत्न धारण करने से जातक की तरक्की के रास्ते खुल सकते हैं और उसका भाग्योदय होने की संभावना प्रबल है। इन राशि के जातक धारण कर सकते हैं उपरत्न यदि किसी जातक की कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति को देखकर ज्योतिषी नीलम पहनने की सलाह देते हैं और आपके लिए यदि नीलम खरीदना संभव नहीं है तो आप उस स्थान पर आप लीलिया धारण कर सकते हैं। वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ आदि राशि के नीली रत्न धारण कर सकते हैं। परंतु अन्य राशि के जातकों को इस उपरत्न को धारण नहीं कारन चाहिए। यह आपको अशुभ प्रभाव दे सकता है। कैसे धारण करें लीलिया उपरत्न लीलिया या नीली उपरत्न को नीलम रत्न की तरह ही धारण करें। लीलिया उपरत्न को शनिवार को दोपहर के समय मध्यमा अंगुली में धारण करें। लीलिया उपरत्न का चौकोर होना चाहिए। ध्यान रखें कि यह उपरत्न अंगुली की त्वचा को छूता रहे। नीली उपरत्न धारण करने के बाद मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।