सूरत के पंकज रावत ने करीब 6 महीने पहले अमेरिका जाने के लिए घर छोड़ा, तो उसकी आंखों में सपने थे-एक बेहतर भविष्य, समृद्धि के। लेकिन किसे पता था कि यह सफर उसे सफलता की ओर नहीं, बल्कि बेड़ियों में जकड़े एक अपराधी की तरह भारत वापस ले आएगा। पंकज रावत ने यू
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प्रतीकात्मक फोटो।
अमेरिका पहुंचते ही पकड़ा गया अमेरिका में आवास, भोजन और काम दिलाने के बहाने 35 लाख रुपए वसूलने के बाद दो एजेंट अवैध रूप से अमेरिका में घुसपैठ कर गए। गुयाना, बेलीज़, पेरू, कोलंबिया, पनामा और मैक्सिको के खतरनाक जंगलों में छह महीने की यातना के बाद, टिकैट सीमा पार कर संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश कर गया। छह महीने तक कष्ट सहने के बाद अमेरिका पहुंचने पर अमेरिकी पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर लिया, 14 दिन तक हिरासत में रखा और फिर भारत भेज दिया। इस मामले में हरियाणा में शिकायत दर्ज होने के बाद उसे सूरत स्थानांतरित कर दिया गया और क्राइम ब्रांच में एजेंटों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
सूरत के डिंडोली के रामी पार्क सोसायटी निवासी 36 वर्षीय पंकज रावत रामेश्वरदास एक कंपनी में काम करता था। पंकज अमेरिका जाना चाहता था। जनवरी 2024 में उसकी मुलाकात अब्दुल और प्रदीप से हुई। दोनों ने खुद को एजेंट बताया और कई लोगों को अमेरिका भेजने की बात कही। उन्होंने अमेरिका में आवास, भोजन और रोजगार उपलब्ध कराने का भी वादा किया।
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दोनों एजेंट्स को 35 लाख रुपए दिए दोनों ने अमेरिका में रहने, खाने और काम के लिए 35 लाख रुपए मांगे थे। पंकजभाई ने सचिन के घर पर अब्दुल को 20 लाख रुपए दिए। इसके बाद अब्दुल ने पंकज को दिल्ली के अशोक विहार बुलाया, जहां उसने 15 लाख रुपये नकद लिए। फिर 6-8-24 को अब्दुल ने मुंबई एयरपोर्ट से गुयाना का टिकट खरीदा और गुयाना के टिमरी एयरपोर्ट पर पंकजभाई को भेज दिया। एक अन्य एजेंट प्रदीप व्हाट्सएप पर लगातार संपर्क में था। गुयाना पहुंचकर अब्दुलना डोनकर ने पंकजभाई से सिम कार्ड और पासपोर्ट ले लिया।
पंकज को 25 दिनों तक एक घर में बंधक बनाकर रखा इसके बाद पंकज को गुयाना से खतरनाक जंगलों के रास्ते टैक्सी से ब्राजील भेज दिया गया। 10 दिन ब्राजील में रहने के बाद अब्दुल डोनकर ने पंकज को बस के जरिए ब्राजील से पेरू भेज दिया। फिर टैक्सी द्वारा पेरू से इक्वाडोर भेजा गया। इक्वाडोर में अब्दुल के डोनकर ने पंकज को पच्चीस दिनों तक बंदी बनाकर रखा। इसके बाद कोलंबिया के मॉन्टेरी में एक घर में चार महीने तक बंदी बनाकर रखा। जब परेशान होकर पंकज ने दोनों से पैसे वापस मांगे तो उन्होंने देने से इंकार कर दिया और विदेश में जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद डोनकर ने पंकज को पनामा के जंगलों में भेज दिया।
अमेरिका में प्रवेश करते ही पुलिस ने पकड़ लिया पनामा से पंकज को कोस्टा रिका भेज दिया गया। वहां से उन्हें बस द्वारा होंडुरास भेजा गया, होंडुरास से निकारागुआ और फिर ग्वाटेमाला भेजा गया। ग्वाटेमाला में 15 दिन रोकने के बाद मैक्सिको सिटी भेज दिया गया और 1 फरवरी 2025 को टिकैट बॉर्डर के जरिए अमेरिका में प्रवेश करा दिया। लेकिन अमेरिका में दाखिल होते ही पंकज को यूएस पुलिस ने पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें 14 दिनों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और अमेरिका से एक सैन्य जहाज से भारत भेज दिया गया।