राजस्थान बाल आयोग द्वारा प्रदेश में बालश्रम और चाइल्ड ट्रेफिकिंग रोकने का अभियान उदयपुर के आदिवासी ब्लॉक कोटड़ा से शुरू किया जाएगा जहां से सबसे ज्यादा बच्चे बाल श्रमिक के रूप में गुजरात और अन्य राज्यों में जाते हैं। राज्य बाल संरक्षण आयोग ने इसके लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया है जिसके तहत उनकी टीम स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करेगी। प्रदेश में ऐसे संवेदनशील क्षेत्र चुने जा रहे है जहां ज्यादातर बाल मजदूरी और बच्चियों को बेचने जैसे मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश में उदयपुर के कोटड़ा को सबसे संवेदनशील माना है। यह बात राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने यह बात कही। उन्होंने कहा है कि बालश्रम के नाम पर बच्चियों को बेचने के कई मामले कोटड़ा व उसके आसपास क्षेत्र से आए हैं हम वहां के स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। बेनीवाल सोमवार सुबह कोटड़ा पहुंची जहां वे बच्चों ओर पेरेंट्स से मुलाकात करेंगी।
राजस्थान में बाल श्रम रोकने के लिए चाइल्ड ट्रैफिकिंग अभियान शुरू किया जाएगा
अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि हम हर ऐसे ब्लॉक में जा रहे है जहां बालश्रम व चाइल्ड ट्रेफिकिंग के मामलों की ज्यादा शिकायत है। वहां के बच्चे और पेरेंट्स से मिल रहे है। उनकी काउंसलिंग कर रहे हैंं। इसके लिए जिला बाल कल्याण समिति, बालश्रम से जुड़े एनजीओ के साथ स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि साथ ही 18 साल तक के बच्चों के लिए राज्य सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं उनकी जागरूकता के लिए पेम्फ्लेट्स छपवाए है। जिन्हें ऐसे ब्लॉक में वितरित किया जाएगा, जिससे बच्चों को लाभ मिले।
अध्यक्ष संगीता बेनीवाल से सर्किट हाउस में मिलने के लिए जिले के कई निराश्रित गृह संचालक पहुंचे। जिन्होंने दो साल से बजट नहीं मिलने की बात कही। उन्होंने बताया कि बजट नहीं होने से उन्हें वहां रह रहे बच्चों को रखना मुश्किल हो रहा है इस पर अध्यक्ष ने कहा कि वे मुख्यमंत्री तक यह बात पहुंचाएंगी और जल्द बजट की व्यवस्था करवाएंगी।