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UP: कभी ढूंढे नहीं मिलते थे अब अचानक हमीरपुर की सड़कों पर नजर आ रहे हैं ब्लैक बक, रंग लाई वन विभाग की ये पहल

हिरण की 6 प्रजातियों में से एक ब्लैक बक यानी की काला हिरण विलुप्त होने के कगार पर है. लेकिन इन दिनों हमीरपुर के मौदहां में ग्रामीण इलाकों में काले हिरण के झुंड देखे जा रहे हैं. जिससे वन विभाग भी खुश है.
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर (Hamirpur) के मौदहां में इन दिनों ग्रामीण इलाकों में कुछ हिरण झुंड के झुंड निकलते हैं, और खुले में विचरण करते हैं. कभी सड़क की पटरियों पर, कभी खेतों की पगडंडियों पर. मौदहा तहसील के सुदूर के गांव इन हिरणों की वजह से गुलजार हैं. जो काले हिरण (Black Buck) कभी ढूंढे नहीं मिलते थे और जिस प्रजाति को IUCN की लिस्ट में विलुप्त की कगार (Species on Verge of Extinction) पर रखा है वो अब मौदहां के गावों में खुले विचरण कर रहे हैं. काले हिरण की संख्या बढ़ने से गांव वालों को परेशानी तो हो रही है, क्योंकि हिरणों का झुंड जिन खेतों से निकलता है वहां फसल का नुकसान हो जाता है. लेकिन इन सबके बावजूद गांव वाले इन हिरणों को नुकसान नहीं पहुंचाते.

कई बार किसान हिरणों के बच्चों को पकड़ लेते हैं, किसानों के बच्चे इनके साथ खेलते हैं और फिर उन्हें वन विभाग के हवाले कर देते हैं. वन विभाग की टीम हिरणों को फिर से उनके झुंड में छोड़ देती है. काले हिरणों की संख्या हमीरपुर में अचानक से कैसे बढ़ी? इसको लेकर डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) ने कहा कि हिरणों की संख्या बढ़ना पर्यावरण और इकोलॉजी के लिए अच्छी बात है. डीएफओ यूसी राय ने कहा हमीरपुर में जंगल 5 प्रतिशत के आसपास है इतने कम वन भूमि में अगर हिरण तेजी से बढ़ रहे हैं तो इसका मतलब है कि जो उपाय सरकार ने इनके प्रोटेक्शन के लिए उठाए थे वो कारगर हैं.

शिकार पर सख्ती की वजह से बढ़ी हिरणों की संख्या
डीएफओ ने कहा कि हिरण की 6 प्रजातियां हैं, उन्हीं में एक ब्लैक बक यानी की काला हिरण है. IUCN लिस्ट में हिरणों की यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है, इस लिए इसे वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम (Wild Life Protection Act, 1972) के तहत सुरक्षा प्राप्त है. ब्लैक बक को शेड्यूल वन में रखा गया है, यानी कि टाइगर की तरह ही हिरण का शिकार करना या उसे नुकसान पहुंचाना अपराध है. शिकार पर सख्ती की वजह से हमीरपुर में हिरणों की संख्या बढ़ी है.

काला हिरण के लिए बना देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व
उत्तर प्रदेश में ब्लैकबक तराई के जिलों में पाए जाते हैं, इसके साथ ही बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, मिर्जापुर जिले में भी काले हिरण देखे जाते हैं. 2017 में यूपी सरकार ने प्रयागराज के मेजा फॉरेस्ट डिवीजन में ब्लैकबक संरक्षण के लिए काला हिरण अभयारण्य बनाया, रीवा बॉर्डर से सटे चांद खमरिया और महुलीकला गांव में काला हिरण के लिए कंजर्वेशन रिजर्व बनाया गया है. यह देश का पहला काला हिरण कंजर्वेशन रिजर्व है.

ब्लैकबक को उपलब्ध कराया जाएगा ओपन एरिया
काला हिरण की आबादी बढ़ने से हमीरपुर का वन विभाग खुश है. DFO ने कहा कि हिरणों के लिए उस इलाके को उनकी सुविधा के हिसाब से तैयार करेंगे, ताकी उन्हें किसी प्रकार की असुविधा ना हो साथ ही ग्रामीणों से बातचीत करके सामूहिक प्रयास से ब्लैकबक को ओपन एरिया उपलब्ध कराया जाएगा. काले हिरण की संख्या बढ़ने का मतलब है कि इस क्षेत्र में उनके खाने पीने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं. डीएफओ ने आगे कहा कि तराई से ज्यादा काला हिरण बुंदेलखंड के सूखे इलाके में पाया जाता है. इनके रहने के लिए बहुत घने जंगल की जरूरत नहीं होती, बिलायती बबूल के जंगलों में ये बड़ी आसानी से रह लेते हैं.

हमीरपुर में बारहसिंघा भी हैं
मौदहा तहसील के कुछ किसानों की माने तो उन्होंने चीतल ( Spotted Deer) और बारहसिंघा को भी इस इलाके में देखा है, लेकिन वन विभाग की टीम बारहसिंघा की बात नकार रही है. डीएफओ ने कहा कि अभी हमारे पास ऐसे सबूत नहीं हैं कि इस इलाके में बारहसिंघा पाए जाते हैं लेकिन अगर ऐसा है तो बारहसिंघा को भी संरक्षण दिया जाएगा. ब्लैकबक से भले ही किसान परेशान हैं, लेकिन वो भी चाहते हैं कि इनको बचाया जाय, क्योंकि इनकी संख्या बढ़ेगी तो इन्हें देखने के लिए दूर दूर से लोग गांवों का रुख करेंगे, जिससे ग्रामीणों को आर्थिक फायदा होगा साथ ही इकोसिस्टम का संतुलन भी बना रहेगा.

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