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अमावस्या का श्राद होता हे खास। सर्व पितृ श्राद कहा जाता हे।

शास्‍त्रों के अनुसार आश्विन माह कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या त‍िथ‍ि को सर्व प‍ितृ श्राद्ध त‍िथ‍ि कहा जाता है। इस द‍िन भूले-ब‍िसरे प‍ितरों की आत्‍मा की शांत‍ि के ल‍िए श्राद्ध क‍िया जाता है। कहते हैं क‍ि इस द‍िन अगर पूरे मन से और व‍िध‍ि-व‍िधान से प‍ितरों की आत्‍मा की शांत‍ि श्राद्ध क‍िया जाए तो न केवल प‍ितरों की आत्‍मा शांत‍ होती है बल्कि उनके आशीर्वाद से घर-पर‍िवार में भी सुख-शांत‍ि बनी रहती है। पर‍िवार के सदस्‍यों की सेहत अच्‍छी रहती है और जीवन में चल रही परेशान‍ियों से भी राहत म‍िलती है।

किसी कारणवश आप अपने मृत परिजनों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर न कर पाएं तो सर्व पितृ अमावस्या पर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि कर्म कर सकते हैं। यह श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है।

श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक निभाया जाना चाहिए। 
 
अगर पितृ नाराज हो जाते हैं, तो जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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